महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया. इस बार राज्य में 85% उम्मीदवार ऐसे थे, जिनकी जीत की बात तो दूर अपनी जमानत राशि भी बचा नहीं पाए. विपक्षी महाविकास अघाड़ी को बड़ा नुकसान हुआ. 22 सीटों पर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. इनमें कांग्रेस सबसे ऊपर रही.
महाराष्ट्र के इन चुनावों में महायुति ने जीत की जितनी बड़ी गाथा लिखी, उससे कहीं बुरी तरह हार के रिकॉर्ड भी बने. महाराष्ट्र में इस बार चुनाव लड़ने वाले 4,136 उम्मीदवारों में से 3,515 यानी 85% उम्मीदवारों की 3.5 करोड़ की जमानत राशि जब्त हो गई.
अगर कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल मतों का 1/6 वां हिस्सा नहीं हासिल कर पाता है तो विधानसभा चुनाव के लिए जमा 10 हजार की उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है. इसमें विपक्षी महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों को सबसे बड़ा नुकसान हुआ. 22 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हो गई.
कांग्रेस के उम्मीदवारों की ही 9 सीटों पर जमानत जब्त हो गई. शिवसेना उद्धव गुट के उम्मीदवारों की 8 सीटों पर और शरद पवार गुट एनसीपी की 3 सीटों पर जमानत जब्त हो गई. MVA का हिस्सा, किसान और मजदूर पार्टी ने 2 सीटों पर जमानत राशि खो दी. लेकिन इस चुनाव में किसी भी बीजेपी उम्मीदवार की जमानत जब्त नहीं हुई.
हालांकि, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के एक उम्मीदवार ने विदर्भ के दर्यापुर, अमरावती जिले में अपनी जमानत राशि खो दी और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी की महाराष्ट्र में 5 सीटों पर जमानत राशि जब्त हुई. उसी जिले के मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र में एक अनोखी स्थिति देखी गई, जहां एनसीपी के दोनों गुटों ने अपनी जमानत राशि खो दी.
अन्य छोटे दलों के भी कई उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हुईं. VBA, BSP और MNS ने राज्यभर में लगभग सभी सीटों पर जमानत राशि खो दी. अपवाद रहे MNS के मुखिया राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे, जो महिम सीट से हार तो गए. लेकिन न्यूनतम सीमा को पार करने में कामयाब रहे.
2014 में 83.1% उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हो गई थी, जो 3.4 करोड़ थी. तो वहीं बीते विधानसभा चुनाव यानी 2019 में 3,237 उम्मीदवारों में से 80.5% ने अपनी जमानत राशि खो दी थी, जिसे आयोग को 2.6 करोड़ की कमाई हुई थी. इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि महाराष्ट्र में एक ऐसा गांव है जहां कांग्रेस को एक वोट भी नहीं मिला. इसके बाद गांव के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं कि जब उन्होंने कांग्रेस को ही वोट दिया तो ऐसा कैसा हो गया.
चुनावों में कांग्रेस की हार इतिहास के पन्नों में दर्ज होने लायक है, कांग्रेस के विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट, पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण जैसे नेता अपनी सीटें नहीं बचा सके. वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस के चीफ नाना पटोले की जीत का अंतर महज 208 वोट रहा. कांग्रेस इंडिया ब्लॉक या एमवीए गठबंधन में खुद को बड़ा भाई मानकर चल रही थी, ज्यादा सीटों पर चुनाव भी लड़ी, इसलिए इस बुरी हार के बाद अब जिम्मेदारी लेने का भी दबाव भी कांग्रेस पर ही है.
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