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This Article is From Dec 20, 2017

बीजेपी बैठक: फिर भावुक हुए पीएम मोदी, कहा- 19 राज्‍यों में हमारी सरकार, इंदिरा के पास थे सिर्फ 18

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की बहुमत की सरकार बनने के बाद अब दोनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री को लेकर माथापच्ची जारी है. वहीं बीजेपी की संसद में बुलाई संसदीय दल की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह का भव्‍य स्‍वागत किया.

बीजेपी बैठक: फिर भावुक हुए पीएम मोदी, कहा- 19 राज्‍यों में हमारी सरकार, इंदिरा के पास थे सिर्फ 18
बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में जीत का जश्‍न मनाया गया
NDTV: गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की बहुमत की सरकार बनने के बाद अब दोनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री को लेकर माथापच्ची जारी है. वहीं बीजेपी की संसद में बुलाई संसदीय दल की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह का भव्‍य स्‍वागत किया. इस बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज बीमार हुए और अस्पताल ले जाया गया.

तो इस तरह से गुजरात में बीजेपी ने हारी बाजी जीत ली

पीएम नरेंद्र मोदी संसदीय दल की बैठक के दौरान भावुक हो गए. उन्‍होंने कहा कि ये बड़ी जीत है और अब हमारी सरकार 19 राज्‍यों में है. उन्‍होंने कहा कि इंदिरा गांधी जब सत्‍ता में थीं तो उनकी 18 राज्‍यों में सरकार थी. उन्‍होंने कहा कि 1984 में हमारी पार्टी की दो सीटें थी और कड़ी मेहनत के चलते हम यहां तक पहुंचे हैं. उन्‍होंने कहा कि सांसदों को मेहनत करती रहनी होगी. 

गुजरात में कम सीटें मिलने के बाद विजय रूपाणी के अलावा दूसरे कई और नामों पर भी चर्चा चल रही है, जिनमें पुरुषोत्तम रूपाला और मनसुख भाई मांडविया का नाम भी आगे रहा है.

गुजरात के पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए अरुण जेटली और सरोज पांडे परसों गुजरात जाएंगे, जहां विधायकों से इस पर चर्चा होगी. वहीं हिमाचल में बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल के हारने के बाद उनके सीएम बनने की उम्मीद धूमिल हो गई है. यहां भी जेपी नड्डा, जयराम ठाकुर समेत कई नामों पर चर्चा चल रही है.

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हिमाचल के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए निर्मला सीतारमण और नरेंद्र सिंह तोमर आज दोपहर 2 बजे शिमला में सभी नए विधायकों से मिलेंगे और मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा करेंगे. इससे पहले कल हिमाचल के तीन जीते हुए विधायकों को दिल्ली भी बुलाया गया था. 

अंदरूनी टकराव से जूझती रही है गुजरात बीजेपी 
25000 से ज्‍यादा सीटों से चुनाव जीत कर विजय रूपाणी ने उन ख़बरों पर रोक लगा दी जिनके मुताबिक उन्हें विरोधियों से कड़ी टक्कर मिल रही थी. उनको तत्काल बदले जाने की संभावना भी फिलहाल नहीं दिख रही है. क्योंकि नरेंद्र मोदी के दिल्ली चले आने के बाद गुजरात बीजेपी अंदरूनी टकराव से जूझती रही. आनंदी बेन पटेल को इसलिए जाना भी पड़ा. अब लगातार चौथी जीत के बावजूद रूपाणी को हटाने की कोशिश पार्टी के लिए एक गैजरूरी संकट पैदा कर सकती है.

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बीजेपी अभी गुजरात को लेकर कोई हड़बड़ी नहीं दिखाना चाहती वरियता पर अभी हिमाचल है क्योंकि वहां पर उनके मुख्यमंत्री उम्मीदवार धूमल हारे हैं अगले दो दिन में जेटली और सरोज पांडे गुजरात जा सकते हैं. लेकिन रूपाणी को अभी नहीं तो देर-सबेर जाना पड़ सकता है. क्योंकि पार्टी का एक खेमा ऐसा है जिसकी राय में रुपाणी शरीफ नेता हैं, मगर लोकप्रिय नहीं हैं. 

स्‍मृति ईरानी हो सकती है गुजरात की सीएम 
हालांकि राजनीतिक गलियारों में स्मृति ईरानी से लेकर पुरूषोत्तम रूपाला के नाम घूमने लगे हैं, मगर बीजेपी अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती है. राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि हमारे पर्यवेक्षक अरुण जेटली और सरोज पांडे गुजरात जाएंगे वहां नेताओं से मिलेंगे फिर वो रिपोर्ट देंगे फिर संसदीय बोर्ड तय करेगा कि प्रदेश का सीएम कौन बनेगा.  वैसे जानकारों की राय में गुजरात के नतीजे वहां की पूरी टीम के लिए ख़तरे की घंटी हैं. राय ऐसी भी है कि अगर वहां नेतृत्व बदलना है तो इससे सही समय दूसरा नहीं होगा.


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जेपी नड्डा हो सकते हैं हिमाचल के सीएम 
वोटिंग से ठीक पहले धूमल को पीएम का उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने जो चाल चली, वो कामयाब होती दिखी, लेकिन धूमल न केवल अपना चुनाव हारे, बल्कि उनके कई करीबी भी हार गए. इनमें योगेंद्र नगर से उनके समधी गुलाब सिंह भी हैं. इसके अलावा धूमल के अपने ज़िले हमीरपुर में भी बीजेपी हार गई्. बीजेपी के आगे सवाल ये है कि बड़े नेताओं की हार के बाद वो किसे मुख्यमंत्री बनाए. हालांकि शिमला में ये ख़बर गर्म रही कि धूमल अब भी अपने लिए ज़ोर लगा रहे हैं. बताया गया कि ना के कुठलेहड़ से जीते वीरेंद्र कंवर उनके लिए सीट छोड़ने को तैयार हैं. जेपी नड्डा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए ज़रूर चल रहा है, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का मतलब उन्हें संसदीय बोर्ड, चुनाव समिति और कई दूसरे अहम पदों से मुक्‍त करना होगा. एक विचार ये भी है कि उत्तराखंड के बाद क्या हिमाचल में भी ब्राह्मण को ही कमान देना उचित है? 

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