बीजेपी नेता अरुण शौरी ने कहा है कि 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करना पिछले 70 सालों की सबसे बड़ी चूक है.
नई दिल्ली:
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अरुण शौरी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया है. मंगलवार को अरुण शौरी ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में 'पॉलिटिक्स ऑफ डेवलपमेंट' व्याख्यान के दौरान कहा कि आर्थिक नीति के लिहाज से 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करना पिछले 70 सालों की सबसे बड़ी चूक है. उन्होंने सिर्फ सरकार ही नहीं रिजर्व बैंक के गवर्नर की भी आलोचना की है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार अरुण शौरी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर वित्त मंत्रालय के अंडर सेक्रेट्री की तरह व्यवहार कर रहे हैं. शौरी ने कहा कि यह नोटबंदी सरकार के काम करने के तरीके समझने के लिए एक लक्षण है जो बताता है कि सरकार में सलाह-मशवरा नहीं होता है और ऐसा बार-बार हो सकता है. उनका कहना है कि अगर कोई चुनाव पर चुनाव जीतता चला जाता है तो इसका मतलब यह नहीं कि सोच बदल ली जाए. जो लोग वोट डालते हैं वह एक नहीं तो दूसरी वजह से वोट डालेंगे और वह नहीं जानते हैं कि अर्थव्यवस्था कैसे चलाई जाती है.
सरकार की आलोचना करते हुए अरुण शौरी ने कहा ''यह बात आप समझ सकते हैं सरकार हर रोज कुछ नया लेकर आती है, जब एक टारगेट विफल हो जाता. यह सरकार शगूफा छोड़ने वाली सरकार है.”
कुछ दिन पहले एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में भी अरुण शौरी ने नोटबंदी को लेकर सरकार की आलोचना की थी. शौरी ने कहा था कि हो सकता है कि नोटबंदी का उद्देश्य अच्छा हो लेकिन इस पर सही तरीके से विचार विमर्श नहीं किया गया. अरुण शौरी ने कहा था सरकार ने 85 प्रतिशत मुद्रा हटा तो दी लेकिन इससे पैदा होने वाली समस्या का अनुमान नहीं लगाया गया.
शौरी का मत था कि नोटबंदी की वजह से छोटे और मध्यम उद्यमों, परिवहन क्षेत्र, पूरे कृषि क्षेत्र और छह लाख गांवों कैसा संकट झेलना पड़ेगा इसके बारे में सरकार ने नहीं सोचा. जब उनसे काले धन पर पूछा गया तो शौरी का कहना था कि उन्हें नहीं लगता कि नोटबंदी से काले धन का संशय पूरी तरह खत्म हो पाएगा. जब उनसे पूछा गया कि क्या नोटबंदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक साहसिक और क्रांतिकारी कदम था, तो उनका जवाब था 'कुएं में कूदना भी क्रांतिकारी और बड़ा कदम होता है, खुदकुशी करना भी क्रांतिकारी कदम होता है.'
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार अरुण शौरी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर वित्त मंत्रालय के अंडर सेक्रेट्री की तरह व्यवहार कर रहे हैं. शौरी ने कहा कि यह नोटबंदी सरकार के काम करने के तरीके समझने के लिए एक लक्षण है जो बताता है कि सरकार में सलाह-मशवरा नहीं होता है और ऐसा बार-बार हो सकता है. उनका कहना है कि अगर कोई चुनाव पर चुनाव जीतता चला जाता है तो इसका मतलब यह नहीं कि सोच बदल ली जाए. जो लोग वोट डालते हैं वह एक नहीं तो दूसरी वजह से वोट डालेंगे और वह नहीं जानते हैं कि अर्थव्यवस्था कैसे चलाई जाती है.
सरकार की आलोचना करते हुए अरुण शौरी ने कहा ''यह बात आप समझ सकते हैं सरकार हर रोज कुछ नया लेकर आती है, जब एक टारगेट विफल हो जाता. यह सरकार शगूफा छोड़ने वाली सरकार है.”
कुछ दिन पहले एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में भी अरुण शौरी ने नोटबंदी को लेकर सरकार की आलोचना की थी. शौरी ने कहा था कि हो सकता है कि नोटबंदी का उद्देश्य अच्छा हो लेकिन इस पर सही तरीके से विचार विमर्श नहीं किया गया. अरुण शौरी ने कहा था सरकार ने 85 प्रतिशत मुद्रा हटा तो दी लेकिन इससे पैदा होने वाली समस्या का अनुमान नहीं लगाया गया.
शौरी का मत था कि नोटबंदी की वजह से छोटे और मध्यम उद्यमों, परिवहन क्षेत्र, पूरे कृषि क्षेत्र और छह लाख गांवों कैसा संकट झेलना पड़ेगा इसके बारे में सरकार ने नहीं सोचा. जब उनसे काले धन पर पूछा गया तो शौरी का कहना था कि उन्हें नहीं लगता कि नोटबंदी से काले धन का संशय पूरी तरह खत्म हो पाएगा. जब उनसे पूछा गया कि क्या नोटबंदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक साहसिक और क्रांतिकारी कदम था, तो उनका जवाब था 'कुएं में कूदना भी क्रांतिकारी और बड़ा कदम होता है, खुदकुशी करना भी क्रांतिकारी कदम होता है.'
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