नई दिल्ली:
यूपीए-2 के चार साल पूरे होने के मौके पर बीजेपी के नेताओं सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने जमकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है।
सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार को चार साल पूरे करने का जश्न मनाने का हक नहीं है। कायदे से उसे देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। आत्मचिंतन करना चाहिए।
अरुण जेटली ने कहा कि सरकार की उपलब्धि बस इतनी है कि उसने चार साल पूरे कर लिए। यह उपलब्धि इसलिए भी हासिल हुई कि सरकार ने सीबीआई का जमकर दुरुपयोग किया। अगर सरकार सीबीआई का दुरुपयोग न करती तो सपा और बसपा उसको हमेशा न बचाते रहते।
इस मौके पर दोनों ने सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। सुषमा ने कहा कि मनमोहन सिंह न नेता बन पाए न प्रधानमंत्री, जबकि अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री का ओहदा मजाक का पात्र बनकर रह गया है। दरअसल, बीजेपी का आरोप लगाती रही है कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री होने के बावजूद सभी निर्णय अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा लिए जाते हैं।
सुषमा और जेटली ने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान नहीं करती। उसने तमाम संस्थाओं का कद गिराया है। सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त रही है। साथ ही सरकार विदेशनीति के मोर्चे पर भी असफल रही है। मालदीव जैसा छोटा देश भी हमें आंख दिखाता है। चीनी घुसपैठ मुद्दे को सुलझाने में इतना समय लगा।
बीजेपी ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी हमला किया। सुषमा स्वराज ने कहा कि सिर्फ विकास दर अर्थव्यवस्था का पैमाना नहीं हो सकती। 7.5 करोड़ के प्रोजेक्ट रुके हुए हैं। भ्रष्टाचार की वजह से जनता बुरी तरह महंगाई झेल रही है। सुषमा ने आरोप लगाया कि कि पीएम दाम बढ़ाते हैं और सोनिया कम करती हैं।
सुषमा ने कहा कि यूपीए-2 राजनीतिक तौर पर नाकाम रही। संगठन और यूपीए सरकार में तालमेल नहीं है। गठबंधन को जो नेतृत्व चाहिए, वह नहीं मिला है।
जेटली ने कहा कि जब देश की रफ्तार कम थी तब भी किसी ने पॉलिसी पैरालिसिस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। आज नीतियों में इतना ठहराव है कि हर तरफ सरकार की आलोचना हो रही है। लोकपाल पर आंदोलन के बावजूद बिल नहीं बना।
आगे कहा कि मायूसी का ऐसा माहौल देश ने कभी नहीं देखा। यह सरकार अहंकार से भरी है। अगले सप्ताह हम सरकार की नीतियों के खिलाफ जेल भरो आंदोलन करेंगे।
सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार को चार साल पूरे करने का जश्न मनाने का हक नहीं है। कायदे से उसे देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। आत्मचिंतन करना चाहिए।
अरुण जेटली ने कहा कि सरकार की उपलब्धि बस इतनी है कि उसने चार साल पूरे कर लिए। यह उपलब्धि इसलिए भी हासिल हुई कि सरकार ने सीबीआई का जमकर दुरुपयोग किया। अगर सरकार सीबीआई का दुरुपयोग न करती तो सपा और बसपा उसको हमेशा न बचाते रहते।
इस मौके पर दोनों ने सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। सुषमा ने कहा कि मनमोहन सिंह न नेता बन पाए न प्रधानमंत्री, जबकि अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री का ओहदा मजाक का पात्र बनकर रह गया है। दरअसल, बीजेपी का आरोप लगाती रही है कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री होने के बावजूद सभी निर्णय अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा लिए जाते हैं।
सुषमा और जेटली ने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान नहीं करती। उसने तमाम संस्थाओं का कद गिराया है। सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त रही है। साथ ही सरकार विदेशनीति के मोर्चे पर भी असफल रही है। मालदीव जैसा छोटा देश भी हमें आंख दिखाता है। चीनी घुसपैठ मुद्दे को सुलझाने में इतना समय लगा।
बीजेपी ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी हमला किया। सुषमा स्वराज ने कहा कि सिर्फ विकास दर अर्थव्यवस्था का पैमाना नहीं हो सकती। 7.5 करोड़ के प्रोजेक्ट रुके हुए हैं। भ्रष्टाचार की वजह से जनता बुरी तरह महंगाई झेल रही है। सुषमा ने आरोप लगाया कि कि पीएम दाम बढ़ाते हैं और सोनिया कम करती हैं।
सुषमा ने कहा कि यूपीए-2 राजनीतिक तौर पर नाकाम रही। संगठन और यूपीए सरकार में तालमेल नहीं है। गठबंधन को जो नेतृत्व चाहिए, वह नहीं मिला है।
जेटली ने कहा कि जब देश की रफ्तार कम थी तब भी किसी ने पॉलिसी पैरालिसिस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। आज नीतियों में इतना ठहराव है कि हर तरफ सरकार की आलोचना हो रही है। लोकपाल पर आंदोलन के बावजूद बिल नहीं बना।
आगे कहा कि मायूसी का ऐसा माहौल देश ने कभी नहीं देखा। यह सरकार अहंकार से भरी है। अगले सप्ताह हम सरकार की नीतियों के खिलाफ जेल भरो आंदोलन करेंगे।
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