बिहार के मधुबनी ज़िले के हरलाखी विधानसभा क्षेत्र की करहरा पंचायत के चचरी पुल को लेकर एनडीटीवी ने इसी साल जनवरी में रिपोर्ट दिखाई थी. इस पंचायत को बसैठा बाज़ार से अलग करती है नेपाल से आने वाली धौस नदी. यही हरलाखी और बेनीपट्टी विधानसभा को भी बांटती है. इस नदी को पार करने के लिए गांव के लोग बांस का चचरी पुल बनाते हैं. ये पुल न बनाएं तो बसैठा जाने के लिए 12 से 15 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता है.
बसैठा में रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने वाला सिर्फ़ बाजार ही नहीं स्कूल-कॉलेज समेत कई कार्यालय भी हैं. बरसात आते ही यह पुल बह जाता है. इस बार भी बह गया है.
पुल के लिए बांस भी गांव वाले अपने पैसे से ख़रीदते हैं और छोटी नाव के लिए भी अपना ही पैसा लगाते हैं. लोग डोंगी या छोटी नाव के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं. यह खतरा हर साल का है. कई लोग इस नदी में डूबे भी हैं, ख़ासकर बच्चे.
स्थानीय निवासी कई पीढ़ी से पक्के पुल और सड़क की मांग कर रहे हैं. हर पॉलिटिकल पार्टी के नेता सरकार से गुहार लगा चुके हैं. अभी स्थानीय सांसद बीजेपी के अशोक यादव हैं. बेनीपट्टी के विधायक सत्तारूढ़ जेडीयू के हैं. हरलाखी की विधायक कांग्रेस की हैं.
नीतीश कुमार पिछले 15 साल से मुख्यमंत्री हैं लेकिन वे भी पुल नहीं बनवा पाए हैं. जबकि उनके मंत्री 2018 में ट्वीट कर कह चुके हैं कि चचरी पुल का ज़माना अब चला गया. करहरा के लोगों के लिए ये किसी जुमले से कम नहीं. वे अभी भी इसी तरह जीने को अभिशप्त हैं.
कुछ महीनों में बिहार में चुनाव है. नेता फिर वोट मांगने आएंगे और पुल बनाने की कसम उठाएंगे. अगली बरसात में फिर आपके लिए ये रिपोर्ट लेकर आएंगे.
VIDEO : करहरा के लोगों को दशकों से पुल का इंतजार
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