मधुबनी जिले के किसान मनोज ठाकुर का सपना जैसे सच हो गया हो, जब उनके बेटे मुकुंद कुमार ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा- 2019 में अपने पहले प्रयास में 54वीं रैंक हासिल की. मुकुंद एक छोटे से गांव में रहने वाले हैं, ऐसे में कम साधन के होने के बावजूद भी उन्हेंने देश की सबसे मुश्किल परीक्षा पास कर दिखाई है. जो उम्मीदवार इस साल यूपीएससी की परीक्षा की तैयार कर रहे हैं उनके लिए मुकुंद कुमार की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं होगी. आइए जानते हैं कैसे मुकुंद ने एक छोटे गांव के स्कूल से निकलकर IAS बनने का सफर तय किया.
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) ने 4 अक्टूबर को प्रीलिम्स परीक्षा का आयोजन किया था. IAS, IPS बनने के लिए ये सबसे अहम पड़ाव है. इसे पास करने के बाद ही मेंस परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलता है.
NDTV को दिए इंटरव्यू में मुकुंद कुमार ने बताया,' ये एक अवधारणा है, जिसमें माना जाता है कि छोटे गांव और कस्बों से आने वाले छात्र बड़े सपने नहीं देख सकते. मैं ये बात जानता था कि अगर कोई कठिन परिश्रम करें तो उनकी मेहनत कभी खाली नहीं जाती.'
मुकुंद ने आगे कहा, "मैंने शुरुआती पढ़ाई मधुबनी जिले के राजनगर अवासिया शारदा विद्यालय से की थी. जिसके बाद साल 2006 में सैनिक स्कूल गोलपारा असम की एंट्रेंस परीक्षा पास की और वहीं से ही कक्षा 12वीं पास की.साल 2012 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में इंग्लिश ऑनर्स कोर्स में एडमिशन लिया.''
कैसे की थी तैयारी
मुकुंद ने कहा, 'प्रीलिम्स परीक्षा में शामिल होने से पहले मैंने दो साल यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. ये मेरा पहला प्रयास था. ऐसे में मेंस और इंटरव्यू काफी अच्छा गया था. मुझे लग रहा था लिस्ट में नाम आ जाना चाहिए. रैंक की बात की जाए तो उम्मीद थी कि 200 से 250 के बीच आ जाएगी, लेकिन जब यूपीएससी के परिणाम घोषित हुए तो मैं खुद अपना रिजल्ट देखकर चौंक गया. मेरी 54 रैंक आई थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी टॉप -100 में आएगी.'
मुकुंद ने क्यों चुना यूपीएससी?
मुकुंद ने बताया, 'यूपीएससी आपको ऐसा प्लेटफॉर्म देता है, जिसके तहत आप विभिन्न क्षेत्रों में काम कर सकते हैं. उन्होंने कहा, मैंने IAS रैंक हासिल की है, ऐसे में मैं शिक्षा, एग्रीकल्चर, बेरोजगारी और गरीबी हटाने से लेकर कई क्षेत्रों में काम कर सकता हूं. IAS पद आपको कई अधिकार देता है, जिसके तहत आप समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.
मुकुंद ने कहा, 'मैं शिक्षा और स्वास्थ्य में बदलाव चाहता हूं. क्योंकि मेरा मानना है कि हमारे समाज के ये दो मुख्य स्तंभ है, अगर इन्हें मजबूत कर दिया जाए तो समाज भी मजबूत हो जाएगा. वहीं केंद्र और राज्य सरकार की कई ऐसी स्कीम है जिसे अच्छे से लागू करने पर जोर दिया जाना चाहिए.' आपको बता दें, इस साल की शुरुआत में, मुकुंद ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 64 वीं संयुक्त प्रतियोगी मुख्य परीक्षा पास की थी.
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