नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक और यात्रा करेंगे. इस बार उनकी ' निश्चय यात्रा ' होगी. दरअसल नीतीश ने जब से जनता दरबार बंद किया है तब से जनता से रूबरू होने के लिए वे एक यात्रा का वादा कर रहे थे. नीतीश ने शुक्रवार को आखिरकार पटना में इस यात्रा का ऐलान कर दिया. इस यात्रा के तहत वे एक बार फिर जिला मुख्यालयों का दौरा करेंगे.
नीतीश यात्रा के दौरान हर जगह सात निश्चय से सम्बंधित प्रगति की समीक्षा करेंगे और जनता की शिकायतों के निपटारे का प्रयास करेंगे. इस पूरे कार्यक्रम की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि जिलो में सात निश्चय से सम्बंधित कॉल सेंटर बने हैं. वहां जाकर भी उनका निरीक्षण उनकी इस यात्रा के एजेंडे में शामिल है.
नीतीश कुमार वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री पद के दावेदार बने थे. तब उन्होंने सबसे पहले न्याय यात्रा से शुरुआत की थी. मुख्यमंत्री बनने के बाद वे विकास यात्रा, धन्यवाद यात्रा, प्रवास यात्रा, सेवा यात्रा, संकल्प यात्रा के तहत राज्य के लोगों की शिकायतें सुन चुके हैं. हर यात्रा में नीतीश की कोशिश होती है कि राज्य के ज्यादा से ज्यादा लोगों की समस्याओं से रूबरू हो सकें.
नीतीश ने कहा कि पटना में उनका मन नहीं लगता. उन्होंने माना कि केवल योजना बना लेने से कुछ नहीं होता जब तक जमीन पर जाकर उसकी समीक्षा न की जाए तब तक कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता. हालांकि जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं थे तब पार्टी के लिए निकाली गई एक यात्रा में अनुबंधित शिक्षकों ने जमकर विरोध किया था. इस कारण मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने प्राथमिकता से शिक्षकों के वेतन बढ़ाए. जानकारों का मानना है कि महागठबंधन को इसका लाभ भी मिला.
नीतीश यात्रा के दौरान हर जगह सात निश्चय से सम्बंधित प्रगति की समीक्षा करेंगे और जनता की शिकायतों के निपटारे का प्रयास करेंगे. इस पूरे कार्यक्रम की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि जिलो में सात निश्चय से सम्बंधित कॉल सेंटर बने हैं. वहां जाकर भी उनका निरीक्षण उनकी इस यात्रा के एजेंडे में शामिल है.
नीतीश कुमार वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री पद के दावेदार बने थे. तब उन्होंने सबसे पहले न्याय यात्रा से शुरुआत की थी. मुख्यमंत्री बनने के बाद वे विकास यात्रा, धन्यवाद यात्रा, प्रवास यात्रा, सेवा यात्रा, संकल्प यात्रा के तहत राज्य के लोगों की शिकायतें सुन चुके हैं. हर यात्रा में नीतीश की कोशिश होती है कि राज्य के ज्यादा से ज्यादा लोगों की समस्याओं से रूबरू हो सकें.
नीतीश ने कहा कि पटना में उनका मन नहीं लगता. उन्होंने माना कि केवल योजना बना लेने से कुछ नहीं होता जब तक जमीन पर जाकर उसकी समीक्षा न की जाए तब तक कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता. हालांकि जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं थे तब पार्टी के लिए निकाली गई एक यात्रा में अनुबंधित शिक्षकों ने जमकर विरोध किया था. इस कारण मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने प्राथमिकता से शिक्षकों के वेतन बढ़ाए. जानकारों का मानना है कि महागठबंधन को इसका लाभ भी मिला.
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