बेंगलुरु में छठ पूजा करते हुए श्रद्धालु।
बेंगलुरु:
उत्तर भारत में खास तौर पर झारखंड, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाके में मनाया जाने वाला छठ पर्व अब अपना रंग दक्षिण में भी बिखेरने लगा है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बिहार से आए परिवार निजी तौर पर इसे मनाते हैं, वहीं बिहार समिति इसका आयोजन शहर के बीचोंबीच सेंकी टैंक में करती है। वहां बड़ी तादाद में परिवार हिस्सा लेते हैं।
बेंगलुरु में उत्सव का विरोध
हालांकि छठ का बेंगलुरु में आयोजन करना काफी मुश्किलों भरा काम है। सेंकी टैंक रिहायशी इलाके में है इसलिए स्थानिय लोग लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर आपत्ति करते हैं। ऐसे में छठ मैय्या के गीत यहां के छठ में नहीं गूंजते। साथ हो साथ स्थानिय लोगों को इस बात को लेकर भी आपत्ति है कि घाट पर भीड़ जमा होने से पेड़ों पर रहने वाले पक्षियों को तकलीफ होती है और साथ-साथ जल प्रदूषण भी होता है। ऐसे में स्थानिय लोग चाहते हैं कि यहां छठ न मनाया जाए। इस विरोध के बावजूद पिछले तकरीबन 10-12 सालों से बिहार समिति के साथ साथ दूसरे सांस्कृतिक संगठन इसका आयोजन यहां कर रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि शुरुआत हो चुकी है, हालात धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगे।
बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले शत्रुंजय शरण अपनी पत्नी ललिता सिंह और बेटे के साथ सेंके टैंक छठ मनाने पहुंचे। पेशे से दोनों फ़िज़ियोथेरेपिस्ट हैं और पिछले लगभग 15 सालों से यहां रह रहे हैं। इस दम्पत्ति का कहना है कि पहले यह कमी खलती थी क्योंकि चाहकर भी छठ पूजा नहीं कर पाते थे, लेकिन अब यह शिकायत नहीं है, भले ही छठ मैय्या के स्तुति गीत न सुनाई दें।
बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं में उत्साह
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई भी अब छठ की रौनक से अछूती नहीं है। आईटी कम्पनियों की वजह से इस शहर में एक अनुमान के मुताबिक बिहारियों की तादाद लगभग 25 हजार के आसपास पहुंच गई है।
बिहार चौपाल चेन्नई के संयोजक प्रदीप कुमार के मुताबिक मरीना बीच पर ज्यादातर परिवार इस पर्व को मनाते हैं, जबकि कुछ परिवार वादपल्ली के फार्म हाउस के स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह छठ के साथ-साथ उत्तर भारत के अन्य पर्वों का भी आयोजन इसी रंग ढंग में करने की कोशिश बिहार के यह संगठन करते हैं, ताकि दूरी परम्परा और रीति-रिवाजों के बीच फासला न पैदा कर दे।
चेन्नई में छठ पर्व पर पूजन करती हुईं महिलाएं।
बेंगलुरु में उत्सव का विरोध
हालांकि छठ का बेंगलुरु में आयोजन करना काफी मुश्किलों भरा काम है। सेंकी टैंक रिहायशी इलाके में है इसलिए स्थानिय लोग लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर आपत्ति करते हैं। ऐसे में छठ मैय्या के गीत यहां के छठ में नहीं गूंजते। साथ हो साथ स्थानिय लोगों को इस बात को लेकर भी आपत्ति है कि घाट पर भीड़ जमा होने से पेड़ों पर रहने वाले पक्षियों को तकलीफ होती है और साथ-साथ जल प्रदूषण भी होता है। ऐसे में स्थानिय लोग चाहते हैं कि यहां छठ न मनाया जाए। इस विरोध के बावजूद पिछले तकरीबन 10-12 सालों से बिहार समिति के साथ साथ दूसरे सांस्कृतिक संगठन इसका आयोजन यहां कर रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि शुरुआत हो चुकी है, हालात धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगे।
बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले शत्रुंजय शरण अपनी पत्नी ललिता सिंह और बेटे के साथ सेंके टैंक छठ मनाने पहुंचे। पेशे से दोनों फ़िज़ियोथेरेपिस्ट हैं और पिछले लगभग 15 सालों से यहां रह रहे हैं। इस दम्पत्ति का कहना है कि पहले यह कमी खलती थी क्योंकि चाहकर भी छठ पूजा नहीं कर पाते थे, लेकिन अब यह शिकायत नहीं है, भले ही छठ मैय्या के स्तुति गीत न सुनाई दें।
चेन्नई में छठ पर्व पर पारंपरिक रस्म पूरी करती हुईं महिलाएं।
बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं में उत्साह
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई भी अब छठ की रौनक से अछूती नहीं है। आईटी कम्पनियों की वजह से इस शहर में एक अनुमान के मुताबिक बिहारियों की तादाद लगभग 25 हजार के आसपास पहुंच गई है।
बेंगलुरु में छठ पूजा करते हुए नागरिक।
बिहार चौपाल चेन्नई के संयोजक प्रदीप कुमार के मुताबिक मरीना बीच पर ज्यादातर परिवार इस पर्व को मनाते हैं, जबकि कुछ परिवार वादपल्ली के फार्म हाउस के स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह छठ के साथ-साथ उत्तर भारत के अन्य पर्वों का भी आयोजन इसी रंग ढंग में करने की कोशिश बिहार के यह संगठन करते हैं, ताकि दूरी परम्परा और रीति-रिवाजों के बीच फासला न पैदा कर दे।
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