बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों (Bihar Liquor Deaths) को लेकर विपक्ष की बढ़ती आलोचना के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) को अब सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. सहयोगी भाजपा (BJP) ने राज्य की शराबबंदी नीति की समीक्षा करने का आह्वान किया है. बिहार भाजपा अध्यक्ष और लोकसभा सांसद संजय जायसवाल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह सुझाव दिया. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस की मिलीभगत के बिना राज्य में अवैध शराब की बिक्री नहीं हो सकती.
जायसवाल ने कहा, "निश्चित रूप से इस नीति की समीक्षा करने की आवश्यकता है. इस घटना को केवल शराबबंदी से जोड़ना सही नहीं होगा. लेकिन जहां प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है, वहां बिहार सरकार को इस बारे में सोचने की जरूरत है."
उन्होंने कहा, "स्थिति भयावह है. पुलिस प्रशासन की मदद से ही पूर्वी चंपारण क्षेत्र में शराब का कारोबार हो रहा है."
बता दें कि भाजपा की यह टिप्पणी बिहार में जहरीली शराब के सेवन से पिछले तीन दिनों में लगभग 40 मौतों पर आई है. मौतें मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और बेतिया जिलों में हुई हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का संकल्प लिया है और शराब के सेवन के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए अभियान शुरू करने की बात कही है.
कल पत्रकारों से बात करते हुए, नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि "यदि आप गलत चीजों का सेवन करते हैं, तो आप मर जाएंगे". यह टिप्पणी मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की कड़ी आलोचना के बाद आई है. पार्टी नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री पर जिम्मेदारी लेने के बजाय लोगों को धमकाने का आरोप लगाया.
2016 में लागू हुई शराबबंदी नीति नीतीश कुमार की मुख्य परियोजनाओं में से एक है, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि शराब पर खर्च किए गए पैसे को परिवार के कल्याण पर खर्च किया जा सकता है. शराबबंदी नीति ने शुरू में उन्हें भरपूर चुनावी लाभ दिलाया क्योंकि वे जातिगत रेखाओं को काटकर महिलाओं का समर्थन आधार बनाने में सक्षम थे.
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