बिहार चुनावों के बीच आय कर विभाग द्वारा शुक्रवार (30 अक्टूबर) को बिहार में स्टोन चिप्स व्यापार से सम्बंधित लोगों के कार्यालय, आवास पर छापेमारी की गई, जिसमें तीन करोड़ नकदी की जब्ती और 75 करोड़ की अघोषित आय का खुलासा हुआ. ये ज़ब्ती पटना, भागलपुर और पूर्णिया के चार सरकारी ठेकेदारों और गया के आठ स्टोन चिप्स कारोबारी के यहाँ हुई. इनमे से अधिकांश फर्म बिहार सरकार के नल जल योजना और कई योजनाओं से सम्बंधित हैं.
अधिकांश लोग जिनके पास से अवैध दस्तावेज बरामद हुए हैं, वे लोग उसके बारे में अभी तक संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये हैं. इस छापेमारी के बाद जहाँ विपक्ष सरकार को घेर रहा है, वहीं एनडीए के नेता कह रहे हैं कि वो तथ्यों की जानकारी ले रहे हैं. भाजपा महासचिव और राज्य प्रभारी भूपेन्द्र यादव का कहना है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरी पारदर्शिता के साथ सरकार चल रही है.
वहीं विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि इस घोटाले का स्वरूप कई गुना अधिक है और उनकी सरकार आयी तो विस्तार से इसकी जाँच करायेगी. इसके साथ ही उनका कहना है कि इस पूरे योजना के क्रियान्वयन में बड़ा घोटाला हुआ है. लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान का कहना है कि वो तो शुरू से कह रहे हैं कि इस घोटाले के तार सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों से जुड़े हैं. अगर जांच हुई तो बहुत कुछ सामने निकल कर आयेगा.
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हालाँकि, सत्तारूढ़ गठबंधन में इस छापेमारी की ख़बर से परेशानी इसलिए बढ़ गयी हैं क्योंकि उन्हें ना केवल सफ़ाई देनी पड़ रही है बल्कि विपक्ष को एक बड़ा और ठोस मुद्दा चुनाव के बीच मिल गया हैं, जिस पर जब तब सवाल पहले भी उठाते जाते रहे हैं लेकिन अब वह केंद्रीय एजेंसी के राडार पर आ चुका है.
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