Bihar Election 2020: बिहार के चुनावों में इस बार फिर बाहुबलियों और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों का बोलबाला है. बीजेपी और आरजेडी के क़रीब तीन-चौथाई उम्मीदवारों पर कोई न कोई आपराधिक मामला है. इलेक्शन वाच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के हिसाब से राजनीतिक पार्टियों को इन उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ मामलों की जानकारी अख़बारों और टीवी चैनलों तक देनी होगी. लेकिन इस निर्देश पर अमल नहीं हो रहा है.
मोकामा से आरजेडी के उम्मीदवार अनंत सिंह के ख़िलाफ़ मर्डर और किडनेपिंग से लेकर ज़मीन हड़पने तक के करीब 25 मामले हैं. पटना की बेउर जेल से आकर उन्होंने परचा भरा. आरजेडी को उनकी उम्मीदवारी में कुछ गलत नहीं लगता.
28 अक्टूबर को जब मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देने पहुंचेंगे तो उनको बहुत सारे बाहुबलियों और दाग़ी उम्मीदवारों के बीच अपना प्रत्याशी खोजना होगा. ADR और इलेक्शन वाच की तरफ से जारी ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 28 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव में कई बाहुबलियों का बोलबाला है. कुल 1064 में से 328 उम्मीदवारों ने माना है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं, यानी कुल 31 प्रतिशत. आरजेडी के सबसे ज्यादा 73% उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर बीजेपी है जिसके 72% उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
13 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को आदेश दिया था कि वे चुनाव में अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृस्ठभूमि की जानकारी सोशल मीडिया, अपनी वेबसाइट और स्थानीय अख़बारों में देंगे और ये भी बताएंगे कि उन्हें क्यों चुना गया. लेकिन इलेक्शन वॉच के संस्थापक जगदीप छोकर कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का बिहार में पालन नहीं हो रहा है. जगदीप छोकर ने कहा "सुप्रीम कोर्ट के 13 फरवरी के आदेश का कहीं पालन नहीं हो रहा है. एक राजनितिक दाल ने अपनी वेबसाइट पर जो दलील दी है कि क्यों उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार उतारे हैं. वो नाकाफी है सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक.''
हालत ये है कि पहले चरण की 71 सीटों में से 61 सीटों में 3 या उससे ज्यादा उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं.
जगदीप छोकर ने कहा, "बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 86 फ़ीसदी ऐसे चुनाव क्षेत्र हैं जो रेड अलर्ट क्षेत्र हैं. अब तक 50 फ़ीसदी से ऊपर कभी किसी चुनाव में रेड अलर्ट वाले कांस्टीट्यूएंसी रजिस्टर नहीं हुई थीं. अब 86 फ़ीसदी तक विधानसभा क्षेत्र रेड अलर्ट क्षेत्र हो गए हैं. यह बहुत चिंता की बात है.''
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