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This Article is From Apr 08, 2012

खादिमों के जहन में ताजा हुई बेनजीर की यादें

अजमेर: पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की अजमेर यात्रा के मौके पर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिमों (प्रभारी) के जहन में उनकी दिवंगत पत्नी एवं पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की यादें ताजा हो उठीं। भुट्टो अंतिम बार 2005 में दरगाह में जियारत करने आई थीं। इन खादिमों में से एक सैयद इकबाल कप्तान, इस बार जरदारी को जियारत में मदद करेंगे।

कप्तान ने आईएएनएस से कहा, "इस बार कुछ खाली-खाली सा लगेगा, क्योंकि वह (भुट्टो) साथ में नहीं होंगी। लेकिन वह हमारी स्मृतियों में हमेशा बनी रहेंगी। उनकी दरगाह यात्रा और यहां जियारत करने की स्मृतियां अभी भी हमारे जेहन में हैं।"

कप्तान ने कहा, "मुझे अभी भी वह दिन याद है, जब वह 2005 में यहां जरदारी के साथ आई थीं और उन्होंने कुछ समय यहां बिताया था और ख्वाजा के दरबार में जियारत की थी। वह तीन बार यहां आई थीं और अंतिम बार 2005 में।"

कप्तान ने कहा, "उन्होंने दोनों देशों के बीच सौहाद्र्रपूर्ण व मैत्रीपूर्ण सम्बंधों के लिए प्रार्थना की थी।" एक अन्य खादिम के अनुसार, भुट्टो उस समय निर्वासित जीवन जी रही थीं और ऐसा लगा था कि वह पाकिस्तान लौटना चाहती थीं।

उम्र के 20वें वर्ष में चल रहे इस खादिम ने आईएएनएस से कहा, "मुझे उनकी वह बात याद है, जब उन्होंने कहा था कि वह अपने वतन लौटना चाहती हैं।"  कप्तान को मदद करने वाले नातिक चिश्ती ने 27 दिसम्बर, 2007 में भुट्टो की हत्या पर शोक जताया। नातिक ने कहा, "यह दरगाह शांति व सद्भाव का प्रतीक है। सूफीवाद दो देशों की जनता के बीच पुल बन सकता है। यह नफरत की नहीं बल्कि सबसे प्रेम की बात करता है।"

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Benazir's Visit To Ajmer, बेनजीर की अजमेर यात्रा
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