विज्ञापन
This Article is From Nov 10, 2014

रईस दिल्ली के कंगाल नगर निगम की कहानी, कर्मचारियों को नहीं मिल रहा वेतन

नई दिल्ली:

पटपड़गंज औद्योगिक इलाके में दाखिल होते ही बांये तीर का निशान दिखाता एक बदहाल बोर्ड, जिसपर लिखा है पूर्वी दिल्ली नगर निगम मुख्यालय। थोड़ी दूर जाकर हमें शीशे की एक शानदार इमारत में पूर्वी दिल्ली नगर निगम का दफ्तर मिला।

दफ्तर को देखकर मैंने सोचा जिसने मुझे इस निगम के कंगाली की खबर दी है। वह सही भी है या नहीं। लेकिन, पूछताछ में पता चला कि ये इमारत डीएसआईआईडीसी की है। लेकिन उसने निगम को किराए पर दे रखा है। इस निगम का बजट 1500 करोड़ रुपये का है, लेकिन उसके खाते में फूटी कौड़ी नहीं है। लिहाजा कर्मचारियों को दो-दो महीने से तनख्वाह नहीं मिली है।

निगम की मेयर मीनाक्षी के पास सरकारी घर तक नहीं है। ठेकेदारों का 100 करोड़ रुपये का कर्ज नगर निगम पर लदा है। लिहाजा विकास के बड़े काम लटके पड़े हैं।

ये निगम कंगाली की उस हालत में पहुंच चुका है कि वो अपने गरीबों को वृद्धा पेंशन और विधवा पेंशन बीते डेढ़ साल से नहीं दे सका है।

निगम की मेयर मीनाक्षी बताती हैं कि दिल्ली में जब तीन नगर निगम बने। इसमें साउथ दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम है। लेकिन पूर्वी दिल्ली नगर निगम की पैदाइश 300 करोड़ रुपये के कर्ज से हुई।

इसी की किस्त भरते-भरते निगम की कमर टूट गई। इस साल दिल्ली सरकार से अनुदान के रूप में 900 करोड़ मिलने थे। लेकिन वह अब तक नहीं मिला। निगम के सीए संजय सिन्हा बताते हैं कि 600 करोड़ रुपये की फाइल भेजी गई है। जैसे ही पैसा रिलीज होगा तभी विकास के कामों में तेजी आएगी।

गरीब निगम से कैसे यमुनापार का विकास हो..
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के हवाले यमुनापार के करीब 42 लाख लोग हैं। दिल्ली का यह वह इलाका है जहां सबसे ज्यादा गरीबी और पिछड़ापन है।

निगम की मुख्य आय हाउस टैक्स के लिहाज से भी ये निगम कमजोर है क्योंकि यहीं सबसे ज्यादा अनअथराइज कॉलोनियां है.. झुग्गियां है। लेकिन साफ सफाई के अलावा बहुत सारे काम पैसे न होने के चलते रुके पड़े हैं।

इसी निगम के पीछे आनन्द विहार जेजे झुग्गी है। यहां रहने वाली कल्लो देवी 2200 रुपये के किराये से छोटे से कमरे में अपने पति के साथ रहती है। डेढ़ साल पहले निगम की गरीब बुजुर्ग पेंशन बंधी। एक हज़ार रुपये जमा करा कर खाता खुलवाया गया। लेकिन डेढ़ साल से एक बार भी उनके खाते में पैसे नहीं आए। कल्लो देवी कहती है पेंशन तो कभी आई नहीं 300 रुपये बैंक ने ऊपर से काट लिये।

जब पेंशन देनी नहीं थी तो खाता निगम ने क्यों खुलवाया। इस तरह के 42 हज़ार गरीब हैं जिन्हें पेशन डेढ़ साल से नहीं मिली है। दक्षिणी, उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम पर बीजेपी का शासन है।

ऐसे में बीजेपी की मेयर मीनाक्षी परेशान हैं। वह बताती हैं कि रोज सुबह उनके घर निगम के बकाएदारों की भीड़ आती है। किसी को तनख्वाह नहीं मिली, किसी की पेंशन रुकी है, कहीं ठेकेदार काम छोड़कर भाग गया है। अब मैं क्या जवाब दूं। हालांकि, बीजेपी की सरकार आने के बाद अब बकाया धनराशि मिलने की उम्मीद बढ़ी है।

मोदी का स्वच्छता अभियान भी खतरे में है
पूर्वी दिल्ली नगर निगम शिक्षक संघ (डेमोक्रैटिक) की महासचिव विभा सिंह कहती हैं कि शिक्षकों को दो महीनों से तनख्वाह नहीं मिली है। ऊपर से मोदी जी के स्वच्छता अभियान के लिए हर छुट्टी में बुलाया जाता है। जब तनख्वाह शिक्षकों को नहीं मिलेगी तो अपना किराया लगाकर कब तक शिक्षक सफाई अभियान में भाग लेते रहेंगे।

पूर्वी दिल्ली नगर निगम किसी तरह सफाई कर्मचारियों को तनख्वाह दे पा रहा है लेकिन 30 हज़ार दूसरे मुलाजिमों को न तो दो महीने से तनख्वाह मिली है और न ही तीन साल से एरियर्स।

उम्मीद है कि देश में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति सालाना आय वाली अमीर दिल्ली की इस कंगाल नगर निगम को पैरों पर खड़ा करने की जरूर कोशिश होगी।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
पूर्वी दिल्ली नगर निगम, खस्ताहाल नगर निगम, कंगाल नगर निगम, Bankrupt Nagar Nigam, Bankrupt Municipal Corporation, East Delhi Municipal Corporation
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com