बेंगलुरु:
बेंगलुरु के मैजेस्टिक इलाके से एक करोड़ 37 लाख नकदी लेकर चंपत हुए ड्राईवर डोमेनिक राय का अब तक पता नहीं चल पाया है, इसके बावजूद की पुलिस की चार विशेष टीमें उसको तलाश रही है.
हालांकि पुलिस को बुधवार देर रात वो वैन मिल गई, जिसे लेकर डोमेनिक भाग था. वैन मौका-ए-वारदात से लगभग 10 किलोमीटर दूर वसंथनागर में मिली. बेंगलुरु पुलिस के डीसीपी (पश्चिम) एम.एन अनुचेथ ने जानकारी दी कि कैश वैन के अंदर 45 लाख रुपये नकदी के साथ-साथ सिक्योरिटी गार्ड की बंदूक भी मिली. यानी अब भी 92 लाख रुपये का पता नहीं चल पाया है.
पुलिस उस वक़्त हैरान रह गई, जब इस ड्राईवर के घर पर मौजूद उसकी मां ने बताया कि थोड़ी देर पहले उसकी बहू और बच्चे वहीं थे, लेकिन कुछ देर से उनका पता है. ऐसे में पुलिस को अंदेशा है कि आरोपी ड्राईवर ने घटना को अंजाम देने के बाद अपने परिवार को साथ लिया, फिर फरार हो गया.
वहीं, लॉजिकैश सिक्योरिटी के प्रमुख वीरेंदर सिंह रावत ने बताया कि आरोपी ड्राईवर को आधारकार्ड और दूसरे दस्तावेजों की शिनाख्त के बाद ही इस महीने की एक तारिख को नौकरी पर रखा गया था.
रावत के मुताबिक, पुलिस वेरिफिकेशन में तीन महीने का वक़्त लगता है. ऐसे में इतना इंतज़ार करना किसी भी कंपनी के लिए परेशानी पैदा करता है. वो भी तब, जबकि देशभर में तक़रीबन 2 लाख कैश वैन ड्राइवर की दरकार है, जबकि उनकी तादाद फिलहाल एक लाख से काफी कम है.
बुधवार को तक़रीबन एक बजकर दस मिनट पर कैश लाने निकली इस वैन को इसका ड्राईवर डोमेनिक तब ले उड़ा, जब दोनों सहायक बैंक में गए और सिक्योरिटी गार्ड वैन से नीचे उतरा. घटना बेंगलुरु शहर के केजी रोड की है.
हालांकि पुलिस को बुधवार देर रात वो वैन मिल गई, जिसे लेकर डोमेनिक भाग था. वैन मौका-ए-वारदात से लगभग 10 किलोमीटर दूर वसंथनागर में मिली. बेंगलुरु पुलिस के डीसीपी (पश्चिम) एम.एन अनुचेथ ने जानकारी दी कि कैश वैन के अंदर 45 लाख रुपये नकदी के साथ-साथ सिक्योरिटी गार्ड की बंदूक भी मिली. यानी अब भी 92 लाख रुपये का पता नहीं चल पाया है.
पुलिस उस वक़्त हैरान रह गई, जब इस ड्राईवर के घर पर मौजूद उसकी मां ने बताया कि थोड़ी देर पहले उसकी बहू और बच्चे वहीं थे, लेकिन कुछ देर से उनका पता है. ऐसे में पुलिस को अंदेशा है कि आरोपी ड्राईवर ने घटना को अंजाम देने के बाद अपने परिवार को साथ लिया, फिर फरार हो गया.
वहीं, लॉजिकैश सिक्योरिटी के प्रमुख वीरेंदर सिंह रावत ने बताया कि आरोपी ड्राईवर को आधारकार्ड और दूसरे दस्तावेजों की शिनाख्त के बाद ही इस महीने की एक तारिख को नौकरी पर रखा गया था.
रावत के मुताबिक, पुलिस वेरिफिकेशन में तीन महीने का वक़्त लगता है. ऐसे में इतना इंतज़ार करना किसी भी कंपनी के लिए परेशानी पैदा करता है. वो भी तब, जबकि देशभर में तक़रीबन 2 लाख कैश वैन ड्राइवर की दरकार है, जबकि उनकी तादाद फिलहाल एक लाख से काफी कम है.
बुधवार को तक़रीबन एक बजकर दस मिनट पर कैश लाने निकली इस वैन को इसका ड्राईवर डोमेनिक तब ले उड़ा, जब दोनों सहायक बैंक में गए और सिक्योरिटी गार्ड वैन से नीचे उतरा. घटना बेंगलुरु शहर के केजी रोड की है.
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