उत्तर प्रदेश के बदायूं गैंगरेप केस में पांच महीने की सीबीआई जांच के बाद एक अहम खुलासा हुआ है। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दोनों चचेरी बहनों की हत्या नहीं की गई थी, बल्कि उन्होंने खुदकुशी की थी।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि उन्हें इसका सबूत नहीं मिला है कि लड़कियों की हत्या की गई या मौत के पहले उन पर यौन हमला हुआ। एजेंसी बदायूं की अदालत में शुक्रवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, मेडिकल बोर्ड इस नतीजे पर पहुंचा कि किसी भी पीड़ित पर यौन हमले का मामला संदिग्ध लगता है। सीबीआई ने हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर डीएनए फिंगर प्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) की मदद ली थी, जिसने दोनों लड़कियों पर यौन हमले को खारिज कर दिया था।
दोनों चचेरी बहनों के अभिभावकों के बयानों में भी विरोधाभास दिखा। सूत्रों ने बताया कि सीडीएफडी रिपोर्ट ने मौत के पहले चचेरी बहनों पर यौन हमले को लेकर कई तरह की शंकाओं को दूर कर दिया। लाई डिटेक्शन टेस्ट में पांच लोगों के खिलाफ कुछ सबूत नहीं मिला।
मामला बीती 28 मई का है, जब बदायूं में दो नाबालिग लड़कियों के शव पेड़ से लटके मिले थे। शुरू में यह कहा गया था कि इन दोनों बहनों के साथ बलात्कार किया गया और इसके बाद उन्हें पेड़ से लटका दिया गया था।
लड़कियों के परिजनों ने आरोप लगाया था कि गांव के पांच लोगों ने उन्हें अगवा कर उनके साथ गैंगरेप किया और बाद में उनकी हत्या कर शवों को पेड़ से लटका दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि जिस रात दोनों बहनें लापता हुई थीं, उस रात उनकी शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पुलिस ने इस मामले में दर्ज एफआईआर में कहा कि दोनों लड़कियों की गैंगरेप के बाद हत्या की गई। इस मामले को लेकर प्रदेश में काफी प्रदर्शन हुए और जून में इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
सीबीआई ने बाद में साफ किया कि लड़कियों पर यौन हमला नहीं हुआ था। हैदराबाद स्थित प्रतिष्ठित संस्थान में कराए गए फोरेंसिक जांच में भी रेप की पुष्टि नहीं हुई। बाद में सितंबर में सभी पांचों आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया था, क्योंकि सीबीआई ने उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने से इनकार कर दिया था।
(इनपुट भाषा से भी)
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