यह ख़बर 30 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

अधिकारियों के कार्रवाई नहीं होने से फिर रूठे आजम

खास बातें

  • आजम हालांकि पिछले दिनों अपना रोष यह कहके दर्शा चुके हैं कि उनके पास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खान कामकाज छोड़कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाना चाहते हैं। आजम हालांकि पिछले दिनों अपना रोष यह कहके दर्शा चुके हैं कि उनके पास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल में ऐसा पहला मौका आया है जब किसी वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने अधिकारियों के रवैये से खफा होकर विभागीय कामकाज देखना ही बंद कर दिया हो।

ऐसा माना जा रहा है कि आजम खान ने दबाव की रणनीति अख्तियार करते हुए ऐसा कदम उठाया है। यह कदम उठा कर आजम ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह लखनऊ के नगर आयुक्त एमपी सिंह प्रकरण पर सरकार में बैठे शीर्ष लोगों के रवैये से खुश नहीं हैं।

कुछ दिनों पहले ही आजम ने मुख्यमंत्री आवास के आसपास सफाई न होने को गम्भीरता से लेते हुए नगर आयुक्त एमपी सिंह को निलम्बित करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था लेकिन उनके पत्र पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

आजम को इस बात का दुख है कि सरकार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर उनका साथ नहीं दे रही है। इसीलिए इस बार उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ  मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के बजाय विभागीय कामकाज ही छोड़ दिया, ताकि सरकार पर कार्रवाई का दबाव बना सके।

उल्लेखनीय है कि सोमवार को नगर विकास विभाग में बैठक में दो वरिष्ठ अधिकारियों के न पहुंचने से नाराज आजम ने तीन दिनों तक चलने वाली बैठक को पहले ही दिन बर्खास्त कर दिया था। आजम ने कहा था कि वह वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे।

आजम द्वारा बैठक को बर्खास्त किए जाने के तुरंत बाद ही समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बाकायदा संवाददाता सम्मेलन बुलाकर कहा था कि आजम खान सूबे के वरिष्ठ मंत्री हैं और उन्होंने कुछ सोच समझकर ही फैसला लिया होगा।

चौधरी ने भी आजम की वकालत करते हुए कहा था कि अधिकारियों की इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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इस तरह का बयान देकर चौधरी ने यह दर्शाने की कोशिश की थी कि सरकार आजम खान के साथ है लेकिन सरकार द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने की वजह से ही आजम गुस्से में हैं।