अटार्नी जनरल (Attorney General) केके वेणुगोपाल ने आंध्र प्रदेश के CM जगनमोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy)के खिलाफ अवमानना (Contempt Of Court) कार्रवाई शुरू करने की इज़ाजत देने से फिर इनकार कर दिया. उन्होंने अपने फैसले पर पुर्नविचार करने से इन्कार किया. उपाध्याय ने आंध्र प्रदेश (Andhra pradesh) के सीएम के सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एनवी रमन्ना के खिलाफ आरोप लगाए थे.
BJP नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने अवमानना कार्रवाई की मांग की थी। AG ने अपनी ओर से इन्कार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर सकते हैं.
जगन मोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज और हाइकोर्ट के जजों के खिलाफ CJI को चिट्ठी लिखी थी.वेणुगोपाल ने इससे पहले दो नवंबर को वकील अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) इस मामले में अवमानना कार्रवाई की इजाजत नहीं दी थी. गौरतलब है कि जगन मोहन ने 6 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश एसए बोब्डे को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस एनवी रमन्ना (NV Ramanna) की शिकायत की थी. आंध्र के सीएम ने दावा किया था कि जस्टिस रमन्ना राज्य की निर्वाचित सरकार के खिलाफ काम कर रहे हैं. जस्टिस रमन्ना ने वाईएसआर कांग्रेस के विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों में तेजी लाने का आदेश दिया था.
उन्होंने आरोप लगाया था कि सीनियर जज तेलगु देशम पार्टी (TDP) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandra babu Naidu) के पक्ष में काम कर रहे हैं. जगन ने यह भी आरोप लगाया था कि जस्टिस रमन्ना हाईकोर्ट के जजों के साथ मिले हैं और वे भी उनके विरुद्ध काम कर रहे हैं. जस्टिस रमन्ना ने जिस याचिका पर आदेश दिया था वह अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी.
वेणुगोपाल ने कहा था कि प्रथमदृष्टया मुख्यमंत्री ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने का वक्त और इसे सार्वजनिक किया जाना, जस्टिस रमन्ना के सितंबर के आदेश की पृष्ठभूमि में लिखे जाने का संदेह पैदा करता है. जस्टिस रमन्ना ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी समेत आंध्र की सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों में तेजी लाने का आदेश दिया था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं