अटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब (Biplab Deb) के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की अर्जी पर अपनी सहमति देने से इंकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वकील अबू सुहेल ने देव के उस बयान को आधार बनाते हुए अर्जी दाखिल की थी जिसमें उन्होंने अपने राज्य के नौकरशाहों को संबोधित करते हुए खुल कर कार्रवाई करने को कहा था. देब ने ये भी कहा था कि कोर्ट की अवमानना का लोग डर दिखाते हैं लेकिन आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है.अवमानना की कार्रवाई होगी तो मैं सबसे पहले कोर्ट में हाजिर होऊंगा. इस अर्जी से पहले नियम के मुताबिक अटॉर्नी जनरल की सहमति जरूरी होती है.
अटॉर्नी जनरल ने अबू सुहेल को लिखा है कि कंटेम्प ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 की धारा 15(1) (b) और नियम 3(b) के तहत आपके भेजे तथ्य इस एक्ट के तहत सिरे से समुचित नहीं हैं.जबकि वकीलों के एक ग्रुप ने त्रिपुरा हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के सामने पेश होकर सीएम के खिलाफ कोर्ट की अवमानना कार्रवाई शुरू करने की अपील की थी.इस पर राज्य के एडवोकेट जनरल ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान को संदर्भ से अलग पेश किया गया है. सीएम ने कभी किसी अधिकारी को कोर्ट के आदेशों की अवमानना करने की बात नहीं कही बल्कि सिर्फ अपना काम सही ढंग से करने को कहा था. बिना इस डर के कि कहीं कोई अवमानना ना हो जाए. सीएम की इस सफाई को हाईकोर्ट ने भी मान लिया था.लिहाज़ा मैं इस मामले में अपनी सहमति देने से इंकार करता हूं.
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