पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस समय वेंटिलेटर पर हैं. एम्स में 8 डॉक्टरों की टीम उनका इलाज रही है. अपने भाषणों के लिये पूरी दुनिया में मशहूर वाजपेयी अपने 50 सालों के राजनीतिक करियर में बेबेदाग छवि के लिये जाने जाते हैं. जब केंद्र में उनकी 13 दिनों की सरकार बनी और वह सत्ता के लिये उनका संघर्ष जारी था. राष्ट्रपति ने बीजेपी को सबसे बड़े दल होने के नाते सरकार बनाने के लिये बुलाया था. उनको 10 दिन में बहुमत साबित करने का मौका मिला था. समर्थन के लिये उन्होंने कई दलों से बात की लेकिन किसी भी तरह की जोड़तोड़ से अलग रहे. इस बीच कुछ विपक्षी नेता उनके ऊपर आरोप लगाने लगे कि वाजपेयी को सत्ता का लोभ हो गया है.
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इस पर अटल बिहारी वाजपेयी काफी आहत गये और सदन में खड़े होकर उन्होंने कहा, मेरे ऊपर लगाया गया है कि मुझे सत्ता का लोभ हो हगया है. मैंने सदन में 40 साल बिताये हैं. सदस्यों में मेरा व्यवहार देखा है, आचरण देखा है...वाजपेयी ने आगे कहा कि पार्टी तोड़कर सत्ता मिलती है तो ऐसी सत्ता मैं चीमटे से भी छूना पसंद नहीं करुंगा. इसके बाद वाजपेयी ने कहा, 'न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः, भगवान राम ने कहा था कि मैं मृत्यु से नहीं डरता, डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं लोकापवाद से डरता हूं.'
अटल बिहारी वाजपेयी 50 सालों तक राजनीति में रहे लेकिन उनका पूरा करियर बेदाग रहा है. वह विचारधारा के लिये संघर्ष करते रहे. गठबंधन के दम पर सरकार भी चलाई लेकिन कभी जोड़तोड़ की राजनीति नहीं की. यही वजह उनको भारतीय राजनीति का अजातशत्रु कहा जाता है.
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