नई दिल्ली:
कथित रिश्वतखोरी के मामले को लेकर संदेह के घेरे में आए रेलमंत्री पवन कुमार बंसल गुरुवार की शाम हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं हुए और इसके साथ ही ये अटकलें तेज हो गईं कि वह मंत्रिपद से हट सकते हैं।
बंसल गुरुवार को अशोक रोड स्थित अपने आवास पर ही रहे और कार्यालय नहीं गए। उनके नजदीकी सूत्रों ने हांलाकि कहा कि वह अस्वस्थ हैं।
बंसल के नजदीकी सूत्र ने कहा, ‘वह स्वस्थ नहीं हैं और आज की कैबिनेट बैठक में रेलवे से जुड़ा कोई मसला नहीं है।’ उनके आज की बैठक में भाग नहीं लेने से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि रेलवे भर्ती मामले में उनके भांजे के कथित रिश्वत घोटाले के सामने आने के बाद हो सकता है कि बंसल को अपना पद छोड़ना पड़े।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो, रेलवे बोर्ड के सदस्य महेश कुमार के सदस्य (इलेक्ट्रिकल) के रूप में नियुक्ति के लिए बंसल के भांजे विजय सिंगला को 90 लाख रुपये की रिश्वत देने के आरोपों की जांच कर रहा है।
बंसल ने हालांकि किसी भी अनियमितता से इनकार किया है और दावा किया कि उनके सिंगला से किसी तरह के कारोबारी संबन्ध नहीं हैं।
रेलमंत्री पवन कुमार बंसल के गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में नहीं आने के बाद अफवाहों का बाजार गर्म होने के बीच सरकार ने सफाई दी कि मंत्रिमंडल में उनके मंत्रालय का कोई विषय एजेंडा में नहीं होने के कारण संभवत: वह नहीं आए।
सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, ‘‘अकसर ऐसा होता है कि यदि किसी मंत्रालय का कोई विषय एजेंडा में न हो तो संबद्ध मंत्री हो सकता है कि न भी आएं। आज की बैठक में रेल मंत्रालय से जुडा कोई विषय एजेंडा में नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कोई मंत्री कैबिनेट बैठक में न आया हो। यह कोई असमान्य बात नहीं है।
बंसल को हटाने या उनके इस्तीफा देने के बारे में किए गए सवालों के जवाब में तिवारी ने कहा कि खुद बंसल ने जांच प्रक्रिया का स्वागत किया है।
तिवारी ने कहा कि अभी जांच चल रही है इसलिए हमें अटकलें लगाने की बजाय इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने देना चाहिए। ‘‘फौजदारी कानून का नियम है कि जब तक गुनाह साबित न हो, व्यक्ति बेगुनाह होता है।’’
सूचना प्रसारण मंत्री से सवाल किया गया था कि बंसल के मंत्रालय और एक रिश्तेदार से संबंधित भ्रष्टाचार की जांच चल रही है तो क्या ऐसे में उनका रेल मंत्री बने रहना उचित है? सीबीआई द्वारा बंसल से पूछताछ की आशंकाओं और खबरों तथा रेल मंत्री रहते बंसल से ऐसी पूछताछ के उचित या अनुचित होने के बारे में सवाल किए जाने पर तिवारी ने कहा कि इस बारे में कोई अटकलें न लगाई जाएं।
‘‘इस विषय को लेकर मुझे जो जवाब देना था, मैं दे चुका हूं।’’ बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्ष के हंगामे और खाद्य सुरक्षा एवं भूमि अधिग्रहण जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पारित नहीं हो पाने के बारे में पूछने पर तिवारी ने कहा कि विपक्ष ने दोनों महत्वपूर्ण, क्रान्तिकारी एवं रचनात्मक विधेयकों की कुर्बानी देना पसंद किया। यह राजनीतिक अवसरवाद है। लेकिन सरकार ये दो कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
बंसल गुरुवार को अशोक रोड स्थित अपने आवास पर ही रहे और कार्यालय नहीं गए। उनके नजदीकी सूत्रों ने हांलाकि कहा कि वह अस्वस्थ हैं।
बंसल के नजदीकी सूत्र ने कहा, ‘वह स्वस्थ नहीं हैं और आज की कैबिनेट बैठक में रेलवे से जुड़ा कोई मसला नहीं है।’ उनके आज की बैठक में भाग नहीं लेने से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि रेलवे भर्ती मामले में उनके भांजे के कथित रिश्वत घोटाले के सामने आने के बाद हो सकता है कि बंसल को अपना पद छोड़ना पड़े।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो, रेलवे बोर्ड के सदस्य महेश कुमार के सदस्य (इलेक्ट्रिकल) के रूप में नियुक्ति के लिए बंसल के भांजे विजय सिंगला को 90 लाख रुपये की रिश्वत देने के आरोपों की जांच कर रहा है।
बंसल ने हालांकि किसी भी अनियमितता से इनकार किया है और दावा किया कि उनके सिंगला से किसी तरह के कारोबारी संबन्ध नहीं हैं।
रेलमंत्री पवन कुमार बंसल के गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में नहीं आने के बाद अफवाहों का बाजार गर्म होने के बीच सरकार ने सफाई दी कि मंत्रिमंडल में उनके मंत्रालय का कोई विषय एजेंडा में नहीं होने के कारण संभवत: वह नहीं आए।
सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, ‘‘अकसर ऐसा होता है कि यदि किसी मंत्रालय का कोई विषय एजेंडा में न हो तो संबद्ध मंत्री हो सकता है कि न भी आएं। आज की बैठक में रेल मंत्रालय से जुडा कोई विषय एजेंडा में नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कोई मंत्री कैबिनेट बैठक में न आया हो। यह कोई असमान्य बात नहीं है।
बंसल को हटाने या उनके इस्तीफा देने के बारे में किए गए सवालों के जवाब में तिवारी ने कहा कि खुद बंसल ने जांच प्रक्रिया का स्वागत किया है।
तिवारी ने कहा कि अभी जांच चल रही है इसलिए हमें अटकलें लगाने की बजाय इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने देना चाहिए। ‘‘फौजदारी कानून का नियम है कि जब तक गुनाह साबित न हो, व्यक्ति बेगुनाह होता है।’’
सूचना प्रसारण मंत्री से सवाल किया गया था कि बंसल के मंत्रालय और एक रिश्तेदार से संबंधित भ्रष्टाचार की जांच चल रही है तो क्या ऐसे में उनका रेल मंत्री बने रहना उचित है? सीबीआई द्वारा बंसल से पूछताछ की आशंकाओं और खबरों तथा रेल मंत्री रहते बंसल से ऐसी पूछताछ के उचित या अनुचित होने के बारे में सवाल किए जाने पर तिवारी ने कहा कि इस बारे में कोई अटकलें न लगाई जाएं।
‘‘इस विषय को लेकर मुझे जो जवाब देना था, मैं दे चुका हूं।’’ बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्ष के हंगामे और खाद्य सुरक्षा एवं भूमि अधिग्रहण जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पारित नहीं हो पाने के बारे में पूछने पर तिवारी ने कहा कि विपक्ष ने दोनों महत्वपूर्ण, क्रान्तिकारी एवं रचनात्मक विधेयकों की कुर्बानी देना पसंद किया। यह राजनीतिक अवसरवाद है। लेकिन सरकार ये दो कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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