नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को निजी बिजली वितरक कंपनियों के खातों की शीघ्रता से जांच किए जाने के संबंध में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक शशि कांत शर्मा से मुलाकात की।
केजरीवाल के साथ दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येन्द्र जैन भी मौजूद थे। यह दूसरी बार है, जब केजरीवाल ने इस मसले पर कैग से मुलाकात की है। इससे पहले उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद इस मसले पर कैग प्रमुख से बातचीत की थी।
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों के वित्त की लेखापरीक्षा पर शर्मा को दिल्ली सरकार के दृष्टिकोण और अपनी योजनाओं की लेखापरीक्षा के निष्कर्ष के बाद बिजली टैरिफ की समीक्षा के लिए कहा।
पिछले साल जनवरी में आम आदमी पार्टी की पहली सरकार ने तीन बिजली कंपनियों बीएसईएस यमुना पावर लि., बीएसईएस राजधानी पावर लि. और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लि. की कैग लेखापरीक्षा के आदेश दिए थे। इसके साथ ही बिजली वितरण कंपनियों को यह चेतावनी भी दी गई थी कि लेखापरीक्षा जांच में सहयोग नहीं करने पर उनके लाइसेंस भी रद्द किए जा सकते हैं।
आप सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों की 2002 से लेखापरीक्षा के आदेश दिए थे। 2002 से ही बिजली का निजीकरण किया गया था। दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों में निजी और दिल्ली सरकार के बीच 51 और 49 फीसदी हिस्सेदारी वाला संयुक्त उद्यम है।
केजरीवाल के साथ दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येन्द्र जैन भी मौजूद थे। यह दूसरी बार है, जब केजरीवाल ने इस मसले पर कैग से मुलाकात की है। इससे पहले उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद इस मसले पर कैग प्रमुख से बातचीत की थी।
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों के वित्त की लेखापरीक्षा पर शर्मा को दिल्ली सरकार के दृष्टिकोण और अपनी योजनाओं की लेखापरीक्षा के निष्कर्ष के बाद बिजली टैरिफ की समीक्षा के लिए कहा।
पिछले साल जनवरी में आम आदमी पार्टी की पहली सरकार ने तीन बिजली कंपनियों बीएसईएस यमुना पावर लि., बीएसईएस राजधानी पावर लि. और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लि. की कैग लेखापरीक्षा के आदेश दिए थे। इसके साथ ही बिजली वितरण कंपनियों को यह चेतावनी भी दी गई थी कि लेखापरीक्षा जांच में सहयोग नहीं करने पर उनके लाइसेंस भी रद्द किए जा सकते हैं।
आप सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों की 2002 से लेखापरीक्षा के आदेश दिए थे। 2002 से ही बिजली का निजीकरण किया गया था। दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों में निजी और दिल्ली सरकार के बीच 51 और 49 फीसदी हिस्सेदारी वाला संयुक्त उद्यम है।
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