चेन्नई की दो दिवसीय यात्रा पर प्रणब मुखर्जी (पीआईबी फोटो)
चेन्नई:
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय सेना को चुस्त एवं परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को बदल सकने वाले ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो उच्च तीव्रता वाले मुकाबलों से लेकर शांति काल के दौरान संघषरें की सभी स्थिति में पल भर में सही एवं नैतिक आधार पर उचित निर्णय ले सकें.
राष्ट्रपति ने भारतीय सेना के अधिकारियों से कहा कि वह उदाहरण पेश करते हुए नेतृत्व करें और हमेशा अपनी ‘कथनी को करनी में’ बदलें. उन्होंने यहां अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में भोज के दौरान कहा, ‘‘भारतीय सेना बदलाव के दौर में है और उसे चुस्त एवं हालात के अनुकूल ढलने वाले ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जिनका दृष्टिकोण व्यापक हो और जिनके पास कई तरह के कौशल हों.’’
तमिलनाडु के दो दिवसीय दौरे पर यहां आए मुखर्जी ने कहा कि ऐसे सैन्य नेताओं के बिना सफल होना संभव नहीं है जो उच्च तीव्रता वाले मुकाबले, शांतिकाल, शांतिरक्षा, मानवीय हस्तक्षेप, आतंकवाद एवं उग्रवाद रोधी समेत सभी प्रकार के संघर्ष की स्थिति में पैदा हुई चुनौती का डटकर मुकाबला कर सकें.
उन्होंने कहा, ‘‘आपसे संचालन संबंधी एवं अन्य मुश्किल हालात में पल भर में सही एवं नैतिक आधार पर सही निर्णय लेने की उम्मीद की जाएगी. आपको यह दक्षता हासिल करने के लिए कड़ा प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सेना सभी मोर्चों पर और हर पैमाने से एक ‘‘पूरी तरह पेशेवर एवं अजेय लड़ाकू मशीन’’ है जिसकी मित्र एवं शत्रु दोनों प्रशंसा करते हैं.
उन्होंने कहा कि खासकर आज के तेजी से बदलते सामाजिक-आर्थिक माहौल के बीच नेतृत्व के संदर्भ में अधिकारी-व्यक्ति संबंध सेना में एक अहम पहलू है. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आप विश्व के सबसे बेहतरीन जवानों का नेतृत्व करते हैं और युवा हैं, ऐसे में आपको हमेशा यह याद रखना चाहिए कि केवल कड़ी मेहनत एवं समर्पण से ही ऐसा नेता बना जा सकता है, जिसके नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठा सके. यह रैंक और ताकत से नहीं बना जा सकता.’’ उन्होंने अधिकारियों से कहा कि भारतीय सेना की उपलब्धियां शानदार हैं और ये पूर्ववर्ती अधिकारियों के खून, पसीने और मेहनत का नतीजा हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
राष्ट्रपति ने भारतीय सेना के अधिकारियों से कहा कि वह उदाहरण पेश करते हुए नेतृत्व करें और हमेशा अपनी ‘कथनी को करनी में’ बदलें. उन्होंने यहां अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में भोज के दौरान कहा, ‘‘भारतीय सेना बदलाव के दौर में है और उसे चुस्त एवं हालात के अनुकूल ढलने वाले ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जिनका दृष्टिकोण व्यापक हो और जिनके पास कई तरह के कौशल हों.’’
तमिलनाडु के दो दिवसीय दौरे पर यहां आए मुखर्जी ने कहा कि ऐसे सैन्य नेताओं के बिना सफल होना संभव नहीं है जो उच्च तीव्रता वाले मुकाबले, शांतिकाल, शांतिरक्षा, मानवीय हस्तक्षेप, आतंकवाद एवं उग्रवाद रोधी समेत सभी प्रकार के संघर्ष की स्थिति में पैदा हुई चुनौती का डटकर मुकाबला कर सकें.
उन्होंने कहा, ‘‘आपसे संचालन संबंधी एवं अन्य मुश्किल हालात में पल भर में सही एवं नैतिक आधार पर सही निर्णय लेने की उम्मीद की जाएगी. आपको यह दक्षता हासिल करने के लिए कड़ा प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सेना सभी मोर्चों पर और हर पैमाने से एक ‘‘पूरी तरह पेशेवर एवं अजेय लड़ाकू मशीन’’ है जिसकी मित्र एवं शत्रु दोनों प्रशंसा करते हैं.
उन्होंने कहा कि खासकर आज के तेजी से बदलते सामाजिक-आर्थिक माहौल के बीच नेतृत्व के संदर्भ में अधिकारी-व्यक्ति संबंध सेना में एक अहम पहलू है. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आप विश्व के सबसे बेहतरीन जवानों का नेतृत्व करते हैं और युवा हैं, ऐसे में आपको हमेशा यह याद रखना चाहिए कि केवल कड़ी मेहनत एवं समर्पण से ही ऐसा नेता बना जा सकता है, जिसके नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठा सके. यह रैंक और ताकत से नहीं बना जा सकता.’’ उन्होंने अधिकारियों से कहा कि भारतीय सेना की उपलब्धियां शानदार हैं और ये पूर्ववर्ती अधिकारियों के खून, पसीने और मेहनत का नतीजा हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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