नई दिल्ली:
थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने सेवानिवृत्ति के कुछ दिन पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के एक अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जो अगले दो साल में सेना के प्रमुख बन सकते हैं। यह नोटिस असम के जोरहाट जिले में एक नाकाम खुफिया अभियान के मामले से निबटने में उनकी ओर से हुई कथित चूक के कारण निंदा के लिए है।
इस नोटिस में लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने एक खुफिया एवं सतर्कता इकाई से निबटने में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पेशेवर तरीके से नहीं किया। उत्तराधिकारी सूची में थलसेना के अगले प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह के बाद लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग का नाम है।
जनरल वीके सिंह ने नोटिस में कहा है कि उनकी ओर से हुई चूक के कारण थलसेना प्रमुख के स्तर पर उचित रूप में उनकी निंदा की जरूरत है। नोटिस में कहा गया है कि वह चूक के लिए कारणों का वर्णन करें और इस कारण बताओ नोटिस का सात दिनों के अंदर जवाब दें। ऐसा नहीं करने पर माना जाएगा कि उन्हें प्रस्तावित कार्रवाई के खिलाफ अनुरोध के लिए कोई आधार नहीं है और कोई एकतरफा फैसला किया जा सकता है।
यह मामला पूर्वी कमान मुख्यालय की कोर्ट आफ इंक्वायरी से जुड़ा हुआ है, जो तीन कोर खुफिया एवं निगरानी इकाई (सीआईएसयू) द्वारा पिछले साल 20-21 दिसंबर की रात को जोरहट में शुरू अभियान एवं अन्य परिस्थिति से संबंधित है।
यह पहला मौका नहीं है जब जनरल वी के सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई शुरू करने का प्रयास किया है। मार्च में उन्होंने एक घोटाले में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में उनके खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने उसे स्वीकार नहीं किया था। थलसेना प्रमुख के नोटिस में कहा गया है कि जीओसी के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग की कार्रवाई स्थिति से निबटने के लिहाज से पर्याप्त नहीं थी।
इसमें कहा गया है कि अभियान में शामिल जवानों के कृत्यों को लेकर पैदा स्थिति से निबटने के लिए तीन कोर मुख्यालय में ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ (ऑपरेशन) ब्रिगेडियर अभय कृष्णा द्वारा तत्काल तत्परता नहीं प्रदर्शित की गई। नोटिस में कमांडिंग आफिसर, सेकंड इन कमांड और कैप्टन रूबीना कौर कीर पर भी आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि गंभीर मामले को ढंकने का प्रयास किया गया। अगर लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है, तो उनके सेना कमांडर बनने के रास्ते में बाधा आ सकती है।
इस नोटिस में लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने एक खुफिया एवं सतर्कता इकाई से निबटने में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पेशेवर तरीके से नहीं किया। उत्तराधिकारी सूची में थलसेना के अगले प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह के बाद लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग का नाम है।
जनरल वीके सिंह ने नोटिस में कहा है कि उनकी ओर से हुई चूक के कारण थलसेना प्रमुख के स्तर पर उचित रूप में उनकी निंदा की जरूरत है। नोटिस में कहा गया है कि वह चूक के लिए कारणों का वर्णन करें और इस कारण बताओ नोटिस का सात दिनों के अंदर जवाब दें। ऐसा नहीं करने पर माना जाएगा कि उन्हें प्रस्तावित कार्रवाई के खिलाफ अनुरोध के लिए कोई आधार नहीं है और कोई एकतरफा फैसला किया जा सकता है।
यह मामला पूर्वी कमान मुख्यालय की कोर्ट आफ इंक्वायरी से जुड़ा हुआ है, जो तीन कोर खुफिया एवं निगरानी इकाई (सीआईएसयू) द्वारा पिछले साल 20-21 दिसंबर की रात को जोरहट में शुरू अभियान एवं अन्य परिस्थिति से संबंधित है।
यह पहला मौका नहीं है जब जनरल वी के सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई शुरू करने का प्रयास किया है। मार्च में उन्होंने एक घोटाले में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में उनके खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने उसे स्वीकार नहीं किया था। थलसेना प्रमुख के नोटिस में कहा गया है कि जीओसी के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग की कार्रवाई स्थिति से निबटने के लिहाज से पर्याप्त नहीं थी।
इसमें कहा गया है कि अभियान में शामिल जवानों के कृत्यों को लेकर पैदा स्थिति से निबटने के लिए तीन कोर मुख्यालय में ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ (ऑपरेशन) ब्रिगेडियर अभय कृष्णा द्वारा तत्काल तत्परता नहीं प्रदर्शित की गई। नोटिस में कमांडिंग आफिसर, सेकंड इन कमांड और कैप्टन रूबीना कौर कीर पर भी आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि गंभीर मामले को ढंकने का प्रयास किया गया। अगर लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है, तो उनके सेना कमांडर बनने के रास्ते में बाधा आ सकती है।
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