नई दिल्ली:
अपने उम्र को लेकर विवाद का सामना कर रहे सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने गुरुवार को कहा कि यह मुद्दा उनके लिए ईमानदारी और सम्मान से जुड़ा है। उन्होंने इस मामले को मीडिया में तोड़ मरोड़ कर पेश किए जाने की निंदा की।
सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने ‘सांगठनिक हित’ में मुद्दे का सामना किया और अगर मामले को सीधे तौर पर लिया जाए तो यह सेना की छवि को प्रभावित नहीं कर रहा है।
उन्होंने जन्मतिथि विवाद को लेकर पूछे गए एक सवाल पर कहा, ‘यह मुद्दा हमेशा से, मैं जोर देकर कह रहा हूं, यह मुद्दा हमेशा से ईमानदारी और सम्मान से जुड़ा रहा है।’ जनरल सिंह के आधिकारिक दस्तावेज में दो जन्मतिथियां अंकित हैं - 10 मई 1950 और 10 मई 1951 जिसके कारण विवाद हुआ।
वह हमेशा से अपने मैट्रिक प्रमाणपत्र पर अंकित 10 मई 1951 को वास्तविक जन्मतिथि माने जाने की दलील देते रहे हैं लेकिन रक्षा मंत्रालय ने इसे खारिज कर दिया है क्योंकि उनके यूपीएससी के प्रवेश पत्र में 10 मई 1950 की तिथि दर्ज है।
सरकार के फैसले के मुताबिक, सेना प्रमुख इस साल 31 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जनरल सिंह ने कहा, ‘यह मुद्दा शुरू से ईमानदारी और सम्मान से जुड़ा रहा है .. इस मुद्दे का शुरू से मैंने सांगठनिक हित में सामना किया है।’ उन्होंने कहा, ‘आपमें से कुछ (पत्रकार) जिनके पास दस्तावेज, चिट्ठियां, अति गोपनीय फाइलें हैं, वे जानते हैं कि मैं (इस मुद्दे पर) समय समय पर क्या लिखता रहा हूं।’
सेना प्रमुख ने उम्र विवाद को मीडिया में ‘तोड़मरोड़’ कर पेश किए जाने की निंदा की। संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘मैं आपके (पत्रकारों के) पास उपलब्ध दस्तावेजों का फिर से हवाला दूंगा। मैं और आप में से हर कोई इस मामले को बेढंगा तोड़मरोड़ कर पेश किए जाने की निंदा करेगा।’
उन्होंने एक पत्रिका का हवाला देते हुए कहा, ‘वह उस हद तक पहुंच गई जहां मैं सोचता हूं कि कोई भी जिम्मेदार पत्रकार नहीं जाएगा। वे उस हद तक क्यों गए, उनकी क्या मंशा थी, यह मैं आप पर छोड़ता हूं। मुझे यह नहीं मालूम है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या मीडिया रिपोर्टिंग से सेना की छवि प्रभावित हो रही है, उन्होंने कहा, ‘यह फिर से ऐसा मामला है जिसमें आप तोड़मरोड़ करना चाहते हैं। अगर आप आंकड़ों को सीधे तौर पर देखें तो मुझे नहीं लगता कि इससे सेना की छवि प्रभावित हो रही है।’ इस मुद्दे के उनके सेना के कामकाज संबंधित फैसलों पर असर पड़ने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में जनरल सिंह ने कहा, ‘यह मेरे परिवार पर चारदीवारियों के भीतर भले असर डाल सकता हो लेकिन मेरे आधिकारिक कामकाज पर इसका कोई असर नहीं है। मैं सेना के लिए काम करता हूं। मैं अपने लिए काम नहीं करता।’
सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने ‘सांगठनिक हित’ में मुद्दे का सामना किया और अगर मामले को सीधे तौर पर लिया जाए तो यह सेना की छवि को प्रभावित नहीं कर रहा है।
उन्होंने जन्मतिथि विवाद को लेकर पूछे गए एक सवाल पर कहा, ‘यह मुद्दा हमेशा से, मैं जोर देकर कह रहा हूं, यह मुद्दा हमेशा से ईमानदारी और सम्मान से जुड़ा रहा है।’ जनरल सिंह के आधिकारिक दस्तावेज में दो जन्मतिथियां अंकित हैं - 10 मई 1950 और 10 मई 1951 जिसके कारण विवाद हुआ।
वह हमेशा से अपने मैट्रिक प्रमाणपत्र पर अंकित 10 मई 1951 को वास्तविक जन्मतिथि माने जाने की दलील देते रहे हैं लेकिन रक्षा मंत्रालय ने इसे खारिज कर दिया है क्योंकि उनके यूपीएससी के प्रवेश पत्र में 10 मई 1950 की तिथि दर्ज है।
सरकार के फैसले के मुताबिक, सेना प्रमुख इस साल 31 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जनरल सिंह ने कहा, ‘यह मुद्दा शुरू से ईमानदारी और सम्मान से जुड़ा रहा है .. इस मुद्दे का शुरू से मैंने सांगठनिक हित में सामना किया है।’ उन्होंने कहा, ‘आपमें से कुछ (पत्रकार) जिनके पास दस्तावेज, चिट्ठियां, अति गोपनीय फाइलें हैं, वे जानते हैं कि मैं (इस मुद्दे पर) समय समय पर क्या लिखता रहा हूं।’
सेना प्रमुख ने उम्र विवाद को मीडिया में ‘तोड़मरोड़’ कर पेश किए जाने की निंदा की। संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘मैं आपके (पत्रकारों के) पास उपलब्ध दस्तावेजों का फिर से हवाला दूंगा। मैं और आप में से हर कोई इस मामले को बेढंगा तोड़मरोड़ कर पेश किए जाने की निंदा करेगा।’
उन्होंने एक पत्रिका का हवाला देते हुए कहा, ‘वह उस हद तक पहुंच गई जहां मैं सोचता हूं कि कोई भी जिम्मेदार पत्रकार नहीं जाएगा। वे उस हद तक क्यों गए, उनकी क्या मंशा थी, यह मैं आप पर छोड़ता हूं। मुझे यह नहीं मालूम है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या मीडिया रिपोर्टिंग से सेना की छवि प्रभावित हो रही है, उन्होंने कहा, ‘यह फिर से ऐसा मामला है जिसमें आप तोड़मरोड़ करना चाहते हैं। अगर आप आंकड़ों को सीधे तौर पर देखें तो मुझे नहीं लगता कि इससे सेना की छवि प्रभावित हो रही है।’ इस मुद्दे के उनके सेना के कामकाज संबंधित फैसलों पर असर पड़ने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में जनरल सिंह ने कहा, ‘यह मेरे परिवार पर चारदीवारियों के भीतर भले असर डाल सकता हो लेकिन मेरे आधिकारिक कामकाज पर इसका कोई असर नहीं है। मैं सेना के लिए काम करता हूं। मैं अपने लिए काम नहीं करता।’
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