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This Article is From Oct 14, 2015

साहित्यकारों को लौटाना है तो सब कुछ क्यों नहीं लौटा देते : अनुपम खेर

साहित्यकारों को लौटाना है तो सब कुछ क्यों नहीं लौटा देते : अनुपम खेर
शबाना आज़मी, अनुपम खेर (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री मोदी ने एक अख़बार से बातचीत में कहा है कि पाकिस्तानी गायक ग़ुलाम अली का विरोध और दादरी जैसी घटनाएं दुखद हैं लेकिन इसमें केंद्र सरकार का कोई रोल नहीं है। वहीं साहित्य जगत में भी कलबुर्गी हत्या और दादरी हत्याकांड के विरोध में 'सम्मान-वापसी' का सिलसिला जारी है। इन सबके बीच फिल्म जगत के कुछ प्रतिष्ठित नाम भी आगे बढ़कर इन घटनाओं पर अपनी राय दे रहे हैं।

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अभिनेत्री शबाना आज़मी ने शिव सेना द्वारा सुधींद्र कुलकर्णी पर हुए हमले की निंदा करते हुए समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि हमें पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी लोगों को एक समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात रखने वाली शबाना ने कहा कि 'शिवसेना ने सुधींद्र कुलकर्णी के साथ जो भी किया उसका मुझे अफसोस है। मैंने उद्धवजी को इस उम्मीद से फोन भी किया की इस पर चर्चा की जा सके लेकिन बात नहीं हो पाई।'

कसूरी की किताब विमोचन पर किए गए विरोध पर टिप्पणी करते हुए शबाना ने कहा 'किसी की किताब के लॉन्च में रुकावट पैदा करने से आप हफीज़ सईद जैसे लोगों की मदद कर रहे हैं जो भारत-पाक वार्ता कभी नहीं होने देना चाहते।'

'पाकिस्तान का वीज़ा नहीं मिला'

उधर वरिष्ठ कलाकार अनुपम खेर ने इस मुद्दे पर अलग राय रखते हुए एएनआई से कहा 'अगर सुधींद्र कुलकर्णी के परिवार के साथ कोई दुर्व्यवहार करता तो क्या वे उसे अपने घर चाय पर बुलाते। गुलाम अली की बात अलग है, कसूरी तो पाकिस्तान के विदेश सचिव रह चुके हैं।' गुलाम अली और कसूरी के मामले पर अपनी बात पूरी करते हुए खेर ने कहा 'मुझे भी कई बार पाकिस्तान में अपने नाटक करने की अनुमति नहीं मिल पाई है। कई बार आवेदन करने पर भी मुझे वीज़ा नहीं मिला लेकिन ठीक है, मैं समझ सकता हूं।'

साहित्यकारों के सम्मान लौटाने की आलोचना करते हुए खेर कहते हैं  'यह सब कुछ राजनीतिक मंतव्य के साथ किया जा रहा है, वैसे भी ऐसा तो नहीं है कि देश में ऐसी हिंसक घटनाएं पहली दफे हो रही हैं।' साहित्यकारों की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए खेर ने कहा 'यह पीएम को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है, अगर यह लोग लौटाना ही चाहते हैं तो सब कुछ क्यों नहीं लौटा देते।' हालांकि खेर ने साफ नहीं किया कि सब कुछ से उनका क्या तात्पर्य है। अनुपम ने यह भी कहा कि 'क्योंकि मेरी पत्नी भाजपा में है इसलिए लोगों को लग रहा है कि मैं साहित्यकारों का विरोध कर रहा हूं लेकिन ऐसा नहीं है, यह मेरे निजी विचार हैं।'

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