पुणे में कोविड-19 के लिए एंटीबॉडी जांच किट विकसित, बड़ी आबादी वाले इलाके में जांच के लिए कारगर

इस जांच किट के जरिए ढाई घंटे की एक पाली में 90 नमूनों की जांच की जा सकती है, मुम्बई के दो अलग-अलग इलाकों में टेस्ट किए गए

पुणे में कोविड-19 के लिए एंटीबॉडी जांच किट विकसित, बड़ी आबादी वाले इलाके में जांच के लिए कारगर

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) पुणे ने कोविड को लेकर एंटीबॉडी के लिए टेस्ट किट तैयार की है. भारत में विकसित इस टेस्टिंग किट को नाम कोविड कवच एलिसा टेस्ट दिया गया है. ये किट बड़ी आबादी वाले इलाके में कोरोना संक्रमण के एक्सपोज़ को लेकर निगरानी में अहम भूमिका निभाएगी. इस किट की सेंसिटिविटी और स्पेसिफिटी परखने के लिए मुम्बई के दो अलग-अलग इलाकों में टेस्ट को अंजाम दिया गया. जहां इसे सही पाया गया. ढाई घंटे में इसकी क्षमता 90 सैम्पल्स के टेस्ट की है. DCGI ने इसके कमर्शियल प्रोडक्शन को लेकर zydus cadila को अनुमति दी है.

पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने कोविड-19 के लिए पहली स्वदेशी एंटीबॉडी जांच किट सफलतापूर्वक विकसित की है, जोकि कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने में अहम भूमिका अदा करेगी. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि इस जांच किट के जरिए ढाई घंटे की एक पाली में 90 नमूनों की जांच की जा सकती है. ऐसे में स्वास्थ्य पेशेवर बीमारी के मद्देनजर ज्यादा तेजी से अगले जरूरी कदम उठा सकेंगे. मंत्री ने लगातार किए गए ट्वीट में कहा कि पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने शरीर में कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने वाली पहली स्वदेशी जांच किट सफलतापूर्वक विकसित की है.

उन्होंने कहा, ''यह परीक्षण सार्स सीओवी-2 संक्रमण के संपर्क में आने वाली आबादी के अनुपात की निगरानी में अहम भूमिका निभाएगा.''

हर्षवर्धन ने कहा कि मुंबई में दो स्थानों पर इस किट की अनुमति दी गई थी और इसके परिणाम काफी सटीक हैं. उन्होंने कहा कि इस किट को एक महीने से भी कम समय में तैयार करने में सफलता मिली है. इस जांच किट की मदद से शरीर में सार्स-सीओवी-2 रोधी एंटीबॉडी की मौजूदगी का पता लगाने में सहायता मिलेगी.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह किफायती और त्वरित नतीजे देने वाली है. साथ ही इसके जरिए अस्पताल और चिकित्सा केंद्रों आदि में बड़ी संख्या में आसानी से नमूनों की जांच करना संभव है. उन्होंने बताया कि दवा कंपनी जायडस को इसकी तकनीक का हस्तांतरण किया गया है और दवा नियामक ने कंपनी को बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन की अनुमति दी है. इस जांच तकनीक के जरिए ऐसे लोगों के खून में एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है, जिनमें पहले कोरोना वायरस संक्रमण हो चुका होगा.
(इनपुट भाषा से भी)