विज्ञापन
This Article is From Mar 12, 2013

दुष्कर्म रोधी कानून अब मंत्रिसमूह के हवाले

दुष्कर्म रोधी कानून अब मंत्रिसमूह के हवाले
नई दिल्ली: प्रस्तावित दुष्कर्म रोधी कानून पर मंत्रिमंडल में उभरे मतभेद को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मंगलवार को इसे मंत्रियों के समूह (जीओएम) के हवाले कर दिया। सरकार ने विधेयक पर विमर्श के लिए 18 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मतभेद सुलझा लिए जाने और कानून पर 22 मार्च तक संसद की मंजूरी हासिल कर लेने का भरोसा जताया है।

विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के नेताओं से प्रस्तावित कानून पर बातचीत कर चुके हैं।

इस कानून को 22 मार्च तक संसद से पारित करा लेना अनिवार्य है क्योंकि यह 3 फरवरी को राष्ट्रपति की ओर से जारी अध्यादेश की जगह लेगा। नियम के मुताबिक अध्यादेश जारी होने के छह सप्ताह के भीतर संसद की मुहर जरूरी होता है।

बजट सत्र का पहला भाग 22 मार्च को समाप्त होगा और उसके बाद 22 अप्रैल को सदन फिर से बहाल होगा।

दिल्ली में 16 दिसंबर को चलती बस में एक युवती के साथ क्रूरता पूर्वक सामूहिक दुष्कर्म और बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में उसकी मौत होने के बाद दुष्कर्म कानूनों को सख्त किए जाने का मुद्दा जोर-शोर से उठा।

शिंदे ने संवाददाताओं से कहा कि विधेयक पर जीआएम की बैठक शीघ्र ही होगी। उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि गुरुवार तक मुद्दे का समाधान हो जाएगा। हम 22 मार्च तक विधेयक पारित कर लेंगे।"

सूत्रों के मुताबिक विधेयक पर असहमति के बिंदुओं में लैंगिक रूप से तटस्थ बनने का प्रावधान, किशोर अपराधियों की उम्र को 18 वर्ष से कम कर 16 वर्ष किए जाने के अलावा पीछा करने और निहारने (दर्शनरति) के लिए दंड के प्रावधान से संबंधित हैं।

जहां वित्तमंत्री पी. चिदंबरम 'दुष्कर्म' शब्द की जगह 'यौन हमला' को रखते हुए इसे लैंगिक उदासीन (तटस्थ) बनाना चाहते हैं, वहीं महिला कार्यकर्ताओं ने सरकार पर 'दुष्कर्म' शब्द को बनाए रखने का जोर डाला है ताकि कानून महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के विरुद्ध होने का भान कराए।

महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ किशोर अपराधियों की उम्र को 18 साल से कम कर 16 वर्ष किए जाने के खिलाफ हैं। किशोर अपराधियों की उम्र का मुद्दा भी दिल्ली दुष्कर्म के एक आरोपी के किशोर होने के बाद उठा है।

सूत्रों ने कहा कि कानून के तहत पीछा करने और निहारने को दंडनीय बनाने के प्रावधानों को परिभाषित करते हुए सरकार के लिए सतर्कता बरतने की जरूरत है, क्योंकि इन्हें अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

जीओएम की अध्यक्षता चिदंबरम कर सकते हैं और शिंदे, तीरथ, विधि मंत्री अश्विनी कुमार और संचार मंत्री कपिल सिब्बल सदस्यों में शामिल होंगे।

अश्विनी कुमार ने संवाददाताओं से कहा, "प्रधानमंत्री ने जीओएम का गठन कर दिया है और इसकी बैठक बुधवार या गुरुवार को होगी। मुझे विश्वास है कि हम एक राय कायम कर सकेंगे और या तो शुक्रवार को या फिर सोमवार को विधेयक सदन में पेश कर दिया जाएगा।"

दांपत्य दुष्कर्म को कानून के दायरे से बाहर रखते हुए दुष्कर्म के दुर्लभतम मामलों और दोबारा अपराध करने वालों के लिए मृत्युदंड का प्रस्ताव सरकार ने इस सबूत के तौर पर कराया कि उसने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध के मुद्दे को प्राथमिकता पर लिया है।

दुष्कर्म कानूनों को कठोर बनाने का अहसास देने के लिए जस्टिस वर्मा समिति के सुझावों को भी प्रस्तावित कानून में शामिल किया गया है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
ब्राजील की गायों में दौड़ रहा 'कृष्णा' का खून, समझें भावनगर के महाराज के गिफ्ट से कैसे बनी इतनी बड़ी मिल्क इंडस्ट्री?
दुष्कर्म रोधी कानून अब मंत्रिसमूह के हवाले
5 साल... 5 हजार वीजा और ₹300 करोड़ की कमाई, दिल्‍ली पुलिस ने फर्जी वीजा फैक्‍ट्री का किया भंडाफोड़
Next Article
5 साल... 5 हजार वीजा और ₹300 करोड़ की कमाई, दिल्‍ली पुलिस ने फर्जी वीजा फैक्‍ट्री का किया भंडाफोड़
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com