जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे की प्रतिक्रिया आई है. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने शुक्रवार को कहा कि सेना का ट्रक चलाने की ताकत उनमें अभी तक है. अपने अनशन के बाद वह इस समय अस्पताल में भर्ती हैं. अण्णा हजारे एक समय सेना में एक चालक थे. वह जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के एक काफिले पर आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें कम से 40 जवान शहीद हुये हैं.
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अण्णा हजारे के हवाले से उनके एक करीबी सहयोगी ने कहा, ‘बुजुर्ग होने के कारण मैं बंदूक नहीं उठा सकता लेकिन अगर जरूरत हुई तो मैं देश के लिए लड़ाई करने वाले अपने सैनिकों को पहुंचाने के लिए निश्चित रूप से वाहन चला सकता हूं.' अण्णा हजारे 1960 में एक ट्रक चालक के रूप में सेना में शामिल हुये थे. 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वह खेम करन सेक्टर में तैनात थे.
इससे पहले पुलवामा में आतंकवादी हमले को लेकर पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि हमले के जिम्मेदार लोगों को इसकी ‘‘बहुत भारी कीमत'' चुकानी होगी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमले का जवाब देने के लिए समय, स्थान और प्रतिक्रिया की प्रकृति पर फैसला करने के लिए सुरक्षा बलों को पूरी छूट दी गई है. पुलवामा में बृहस्पतिवार को जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें कम से कम 40 जवान शहीद हो गए जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों को शुक्रवार की देर शाम पालम टेक्नीकल एरिया में पुष्पचक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. शहीद जवानों के पार्थिव शरीर वायुसेना के विमान से श्रीनगर से दिल्ली लाये गये. मोदी ने पार्थिव शरीरों के ताबूतों के सामने बनाये गये एक मंच पर पुष्पचक्र चढ़ाया. बाद में शहीदों के पार्थिव शरीरों को उनके पैतृक स्थल भेजा गया.
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