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This Article is From Feb 23, 2015

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आंदोलन को तैयार अण्‍णा

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आंदोलन को तैयार अण्‍णा
नई दिल्‍ली:

अण्णा हजारे एक बार फिर आंदोलन करने दिल्‍ली पहुंच चुके हैं। अनशन स्थल से पत्रकारों को संबोधित करते हुए अण्‍णा बोले, 'हम निष्काम भाव से काम कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अध्‍यादेश का विरोध करते हुए उन्‍होंने कहा कि अंग्रेजों के समय भी ऐसा कानून नहीं था।

सरकार किसानों की जमीन जबरदस्ती नहीं ले सकती। उन्‍हें भूमि अधिग्रहण अध्‍यादेश को किसान विरोधी करार दिया। अण्‍णा ने अपील की कि किसी भी पार्टी के सदस्‍य उनके मंच पर ना पहुंचे, बल्‍‍कि पार्टी के लोग जनता के बीच बैठ सकते हैं।

उन्‍होंने आम आदमी पार्टी को भी हिदायत दी की उसके कार्यकर्ता भी मंच पर ना पहुंचें। उन्‍होंने साथ ही यह भी कहा कि उनका आंदोलन किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं है और किसानों को उनका हक दिलाने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी ने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है। उन्‍होंने सवालिया लहजे में पूछा कि आखिर मोदी लोकपाल की बात क्‍यों नहीं करते।

अरविंद केजरीवाल के बारे में अण्‍णा ने कहा कि मंगलवार को उनकी मुलाकात केजरीवाल से होगी और उनके साथ आंदोलन की रणनीति पर चर्चा होगी।

अण्‍णा ने संकेत दिए कि अगर नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो रामलीला मैदान में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। हजारे ने कहा कि देश भर में तीन-चार महीने की ‘पदयात्रा’ के बाद दो दिनों का प्रदर्शन किया जाएगा ताकि अध्यादेश में केंद्र द्वारा किए गए ‘किसान विरोधी’ प्रावधानों से लोगों को अवगत कराया जा सके।

उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार ने अध्यादेश वापस नहीं लिया तो लोग अपना आंदोलन जारी रखेंगे। कार्यकर्ता किसानों को (संशोधन से) जागरूक करेंगे। देश भर के किसानों के अगले तीन-चार महीने में रामलीला मैदान में जुटने की संभावना है।’ 77 वर्षीय हजारे अध्यादेश के माध्यम से भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ बदलाव किए जाने को लेकर मोदी सरकार के घोर आलोचक रहे हैं।

पिछले वर्ष 29 दिसम्बर को सरकार ने अध्यादेश लाकर भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए थे जिसमें भूमि अधिग्रहण के लिए पांच क्षेत्रों में किसानों की सहमति प्राप्त करने की धारा को हटाना भी शामिल है। ये पांच क्षेत्र हैं औद्योगिक कोरीडोर, पीपीपी परियोजनाएं, ग्रामीण आधारभूत ढांचे, सस्ते आवास और रक्षा।

(साथ में इनपुट एजेंसी से)

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