मनी लॉन्डरिंग मामले (Money Laundering Case) में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को 6 नवंबर तक जांच एजेंसी की हिरासत में भेजा गया है. गौरतलब है कि देशमुख को इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मुंबई में उनके कार्यालय में 12 घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. देशमुख ने इस साल की शुरुआत में अपने खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर विवाद के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उनको शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने जांच एजेंसी के समन को रद्द करने की अपील की थी. सोमवार को जारी किए गए एक वीडियो बयान में 71 वर्षीय एनसीपी नेता देशमुख ने कहा था कि "मेरे खिलाफ सभी आरोप झूठे हैं."
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गौरतलब है कि देशमुख पर मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में परम बीर सिंह ने देशमुख पर हस्तक्षेप करने और हर महीने 100 करोड़ रुपये तक की जबरन वसूली करने के लिए पुलिस का उपयोग करने का आरोप लगाया था. परम बीर ने मुकेश अंबानी बम मामले में जांच धीमी होने पर पद से हटाए जाने के कुछ दिनों बाद यह पत्र लिखा था.
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दूसरी ओर, देशमुख ने कहा था कि पुलिस प्रमुख की ओर से की जा रही मुकेश अंबानी की सुरक्षा की जांच में कुछ "अक्षम्य" चूकें सामने आई थीं.एनसीपी नेता देशमुख ने उन पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था. उन्होंने रिश्वत लेने के दावों पर मानहानि का केस करने की धमकी दी थी. आरोपों को लेकर विपक्षी नेताओं ने उनके इस्तीफे की मांग थी जिससे राज्य में एक बड़ा राजनीतिक भूचाल आ गया था.
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