राफेल सौदे में भारतीय बिचौलिये को 10 लाख यूरो दिए थे दसॉ ने : रिपोर्ट

'मीडियापार्ट' के मुताबिक, "कंपनी ने कहा कि रकम का इस्तेमाल राफेल जेट की 50 विशालाकार नकल बनाने के लिए भुगतान में किया गया था, जबकि इन्स्पेक्टरों को कोई प्रमाण नहीं दिया गया कि इस तरह मॉडल बनाए गए थे..."

राफेल सौदे में भारतीय बिचौलिये को 10 लाख यूरो दिए थे दसॉ ने : रिपोर्ट

राफेल सौदे के तहत फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों की पहली खेप पिछले साल भारत पहुंची थी...

फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल (Rafale) के निर्माता दसॉ (Dassault) ने भारत और फ्रांस के बीच 36 विमानों का सौदा हो जाने के तुरंत बाद भारत में एक बिचौलिये को एक मिलियन यूरो (10 लाख यूरो) का भुगतान किया था. फ्रांसीसी प्रकाशन 'मीडियापार्ट' ने फ्रांस की भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंसी द्वारा की गई जांच के हवाले से यह आरोप लगाया है.

पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बिचौलिये पर भारत में एक अन्य रक्षा सौदे में मनी-लॉन्डरिंग करने का आरोप भी लगा है.

दसॉ ने कथित रूप से दावा किया है कि रकम का इस्तेमाल राफेल जेट की 50 नकल बनाने के लिए भुगतान में किया गया था.

'मीडियापार्ट' के मुताबिक, "कंपनी ने कहा कि रकम का इस्तेमाल राफेल जेट की 50 विशालाकार नकल बनाने के लिए भुगतान में किया गया था, जबकि इन्स्पेक्टरों को कोई प्रमाण नहीं दिया गया कि इस तरह मॉडल बनाए गए थे..."

रिपोर्ट के मुताबिक, इन आरोपों को सबसे पहले फ्रांसीसी भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंसी एजेंसे फ्रांकाइस एन्टीकरप्शन (Agence Francaise Anticorruption या AFA) ने उजागर किया था, जब उन्होंने दसॉ का ऑडिट किया. लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, AFA ने अभियोजकों के समक्ष इसका ज़िक्र नहीं किया.

AFA की रिपोर्ट के अनुसार, "जब उन्होंने 2017 के खाते खंगाले, AFA के इन्स्पेक्टरों को खटका था, जब उन्होंने खर्च की एक मद में 5,08,925 यूरो दर्ज देखे, जिसके आगे 'क्लायंट को तोहफे' लिखा था..."

फ्रांसीसी जांचकर्ताओं को सुषेण गुप्ता द्वारा संचालित भारतीय कंपनी डेफसिस सॉल्यूशन्स ने एक इनवॉयस उपलब्ध करवाई, जिसके खिलाफ VVIP चॉपरों की खरीद से जुड़े अगस्तावेस्टलैंड केस में CBI तथा प्रवर्तन निदेशालय (ED) तफ्तीश कर रही हैं.

डेफसिस सॉल्यूशन्स भारत में दसॉ की सब-कॉन्ट्रैक्टरों में से एक है. सुषेण गुप्ता को चॉपर सौदे में गिरफ्तार किया जा चुका है, और बाद में सुषेण को ज़मानत हासिल हो गई थी.

मीडियापार्टी को हासिल हो चुकी AFA की रिपोर्ट के अनुसार, दसॉ ने 30 मार्च, 2017 की तारीख में डेफसिस सॉल्यूशन्स द्वारा जारी एक इनवॉयस देकर 'सामान्य से बड़े तोहफे' को न्यायसंगत ठहराने की कोशिश की.

इनवॉयस से लगता है कि डेफसिस को 10,17,850 यूरो के एक ऑर्डर का 50 प्रतिशत अदा किया गया था, जो राफेल जेट के 50 डमी मॉडल बनाने के लिए दिया गया था. हर मॉडस की कीमत 20,000 यूरो से भी ज़्यादा रखी गई थी.

AFA की रिपोर्ट में कहा गया, "दसॉ ने AFA को 30 मार्च, 2017 की तारीख वाली 'प्रोफॉर्मा इनवॉयस' दी थी, जिसे एक भारतीय कंपनी डेफसिस सॉल्यूशन्स ने दिया था... यह इनवॉयस, जो कुल ऑर्डर का 50 फीसदी थी, राफेल सी के 50 मॉडल बनाने के लिए थी..."

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मीडियापार्ट के अनुसार, दसॉ न तो इन मॉडलों का कोई दस्तावेज़ी सबूत पेश कर पाया, न यह बता पाया कि इस खर्च को 'क्लायंट को तोहफे' के तौर पर क्यों दर्ज किया गया था.