केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में NRC और नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पर संगोष्ठी (सेमिनार) को संबोधित करेंगे जिस पर सभी की निगाहें हैं. बीजेपी सूत्रों ने बताया कि शाह आज कोलकाता आएंगे और एक सामुदायिक दुर्गा पूजा का उद्घाटन करने के अलावा एक सेमिनार को भी संबोधित करेंगे. शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. वह इस साल केंद्रीय गृह मंत्री बनने के बाद पहली बार बंगाल आ रहे हैं. यह संगोष्ठी ऐसे वक्त में हो रही है जब पश्चिम बंगाल में NRC के लागू होने के कथित डर से 11 लोगों की मौत हो चुकी है. इसलिए कार्यक्रम की अहमियत ज्यादा है. सैकड़ों लोग शहर और राज्य के अन्य हिस्सों में अपने जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज लेने के लिए सरकारी और नगर निकाय के दफ्तरों के बाहर कतार लगाए खड़े हैं, ताकि अगर राज्य में एनआरसी को लागू किया जाए तो उनकी तैयारी पूरी रहे. शाह ने बार-बार कहा कि पूरे देश में एनआरसी को लागू किया जाएगा जबकि राज्य की ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार ने पश्चिम बंगाल में एनआरसी को लागू नहीं करने का संकल्प लिया है. प्रदेश बीजेपी नेताओं के मुताबिक, शाह के भाषण की काफी अहमियत होगी, क्योंकि वह टीएमसी के सभी आरोपों और पार्टी द्वारा एनआरसी पर पैदा की गई 'गलतफहमियों' का जवाब दे सकते हैं.
उधर टीएमसी ने अमित शाह के दौरे की टाइमिंग को सवाल उठाए हैं. बंगाल में सत्तारूढ़ दल TMC ने कहा कि सीएम ममता बनर्जी का इस पद पर विराजमान होने से पहले से ही दुर्गा पूजा उत्सव से गहरा लगाव रहा है और यही कारण है कि वह पूजा का उद्घाटन कर रही है, लेकिन पार्टी ने हौरानी जताई कि अमित शाह ने इसके लिए कोलकाता को ही क्यों चुना है. तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और राज्य सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि शाह को पूजा का उद्घाटन करने के लिए यात्रा कर कोलकाता आने के बजाय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सी आर पार्क में ऐसा करना चाहिए था. चटर्जी ने कहा कि हालांकि यह उनके (शाह) ऊपर है कि वह कहां जायें.
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पश्मि बंगाल में बीजेपी के नेता टीएमसी पर आरोप लगाए कि एनआरसी को लेकर टीएमसी द्वारा राज्य में जानबूझकर दहशत पैदा करने की कोशिश की जा रही है. अमित शाह न सिर्फ हमें मुद्दे की साफ तस्वीर से अवगत कराएंगे बल्कि सभी गलतफहमियों को दूर करेंगे. असम, देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी की कवायद की गई है. एनआरसी की 31 अगस्त को प्रकाशित सूची में 19 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं है. इनमें से 12 लाख हिन्दू हैं. एनआरसी 1985 के असम समझौते के तहत और उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हुई है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'टीएमसी बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बचाने के लिए एनआरसी का विरोध कर रही है जो पश्चिम बंगाल में उसका वोट बैंक हैं. लेकिन असम में एनआरसी की अंतिम सूची से काफी सारे हिन्दुओं के बाहर होने से, वह हमें हिन्दू-विरोधी और शरणार्थी विरोधी पार्टी के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है. यह बंगाल में हमारी चुनावी संभावनाओं पर असर डाल सकता है.'
इस बीच, टीएमसी महासचिव पार्थ चटर्जी ने मांग की कि असम में एनआरसी की अंतिम सूची से बड़ी संख्या में हिन्दुओं के बाहर होने पर शाह और भाजपा नेतृत्व को पहले स्पष्टीकरण देना चाहिए. उन्होंने कहा, 'भाजपा घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए एनआरसी को लागू करने की बात करती है. उसे पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि असम में एनआरसी की सूची से इतनी बड़ी संख्या में हिन्दू बाहर कैसे हो गए? (एनआरसी) सूची में शामिल नहीं हुए वे हिन्दू घुसपैठिए हैं?
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