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This Article is From Feb 03, 2019

अयोध्या विवाद पर अमित शाह: 1993 में अधिग्रहित जमीन को राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने का किया फैसला, विपक्ष रोड़ा न बने

चुनाव नजदीक आते ही रामजन्म भूमि विवाद गहराने लगता है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस मुद्दे की गूंज भी सियासीदानों के भाषणों में सुनाई देने लगी है.

अयोध्या विवाद पर अमित शाह: 1993 में अधिग्रहित जमीन को राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने का किया फैसला, विपक्ष रोड़ा न बने
अमित शाह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

चुनाव नजदीक आते ही रामजन्म भूमि विवाद गहराने लगता है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस मुद्दे की गूंज भी सियासीदानों के भाषणों में सुनाई देने लगी है. रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने राम जन्मभूमि पर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि कोर्ट के अंदर लंबी बहस चली. फिर भी 1993 में जिस जमीन को अधिग्रहित किया गया था. उस भूमि को बीजेपी की सरकार ने राम जन्मभूमि न्यास को वापस देने का फैसला किया है. अमित शाह ने कहा कि यह एतिहासिक कदम है और मैं विपक्षी पार्टियों से कहना चाहता हूं कि केस में रोड़ा न डालें.  

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इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कुंभ मेले में चुनावी अभियान का श्रीगणेश करते हुए कहा था कि कुंभ मेला चल रहा है और यह बहुत स्वाभाविक है कि राम मंदिर की मांग उठाई जा रही है. परेड ग्रांउड में  'जय श्रीराम' के नारों के बीच भाजपा अध्यक्ष ने कहा, इस मामले पर भाजपा की नीति हमेशा बहुत स्पष्ट रही है और मैं यहां यह घोषणा करना चाहता हूं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर जल्दी से जल्दी उसी स्थान पर ही बनना चाहिए. उन्होंने इस संबंध में राहुल गांधी को भी अपना रूख साफ करने की चुनौती दी और कहा, आप (राहुल) अपना रुख साफ करो कि आप मंदिर बनाना चाहते हो या नहीं चाहते हो.

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कांग्रेस पर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के रास्ते में उच्चतम न्यायालय में अपने वकीलों के जरिए हमेशा अवरोध पैदा करने का आरोप लगाते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से 2019 के चुनावों तक मामले की सुनवाई टालने का आग्रह किया था. चुनाव से पहले बूथ स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिये आये शाह ने 'त्रिशक्ति सम्मेलन' को संबोधित करते हुए कहा, कांग्रेस को साफ करना चाहिए कि उसने देश के सबसे पुराने मुकदमे की सुनवाई को टालने की मांग क्यों की. 

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