जिन मुद्दों को लेकर अमरिंदर सिंह ने अपना बचाव किया, उनमें बेअदबी का मामला भी है, जिसमें नवजोत सिद्धू ने उन पर न्याय सुनिश्चित करने में देरी का आरोप लगाया है. यह मामला 2015 में पंजाब के फरीदकोट में एक धार्मिक पाठ की बेअदबी और उसके बाद पुलिस फायरिंग की घटना से संबंधित है. सिद्धू इस मामले पर अमरिंदर की आलोचना करते रहे हैं. खासकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा अप्रैल में जांच को रद्द करने के बाद उन्होंने अमरिंदर सिंह पर निशाने तेज किए.
अमरिंदर सिंह ने कहा कि कानूनी बाधाओं और पिछली भाजपा-अकाली दल सरकार द्वारा हस्तांतरित मामलों को वापस करने से सीबीआई के इनकार के बावजूद, उनके प्रशासन ने 24 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया, 15 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया और 10 नागरिकों को गिरफ्तार किया. उन्होंने कहा, "... वर्तमान में आपराधिक कार्यवाही चल रही है, और मुझे यकीन है कि उचित समय पर न्याय होगा."
पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा-अकाली दल सरकार द्वारा हस्ताक्षरित बिजली खरीद समझौतों का भी जिक्र किया है, जिसने राज्य में एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया था. इससे बाद से नवजोत सिंह सिद्धू ने हमलों की झड़ी लगा दी थी.
अमरिंदर सिंह ने कहा कि 139 सौदों में से 17 पंजाब की बिजली आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त थे; बाकी पर "बेवजह हस्ताक्षर किए गए" और राज्य पर एक अनावश्यक वित्तीय बोझ डाला गया. सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने बिजली पारेषण और वितरण के बुनियादी ढांचे में करोड़ों का निवेश किया है और उपभोक्ताओं और किसानों को प्रति वर्ष बहुत अधिक लाभ पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि "पहली बार हमने उद्योगों को सब्सिडी वाली बिजली की आपूर्ति की ..."
अमरिंदर सिंह ने किसानों के ऋण से निपटने में अपनी सरकार की सफलताओं, राज्य में नशीली दवाओं की तस्करी की समस्या, खनन उद्योग की चिंताओं और बेरोजगारी को नियंत्रित करने के बारे में भी विस्तार से बताया है.
अमरिंदर सिंह, जिन्हें कभी-कभी सिर्फ 'कैप्टन' भी कहा जाता है, ने यह भी लिखा है कि उन्हें उम्मीद है कि उनके इस्तीफे से "राज्य में कड़ी मेहनत से अर्जित शांति और विकास को नुकसान नहीं होगा ... (और) प्रयासों पर मैं ध्यान केंद्रित कर रहा हूं ... और सभी को न्याय सुनिश्चित करना जारी रहेगा."
उन्होंने आगे संकेत दिया कि राज्य में हाल के राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बारे में पार्टी की समझ "पंजाब की राष्ट्रीय अनिवार्यताओं और इसकी प्रमुख चिंताओं की पूरी समझ पर आधारित नहीं थी." उन्होंने लिखा है कि "... पंजाब के लोग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को उसकी परिपक्व और प्रभावी सार्वजनिक नीतियों की ओर देख रहे हैं, जो न केवल अच्छी राजनीति को दर्शाती है बल्कि आम आदमी की चिंताओं का भी ध्यान रखती है, जो कि इस सीमावर्ती राज्य के लिए खास हैं."
अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच महीनों तक चली खींचतान और दुश्मनी शुक्रवार देर रात कांग्रेस विधायकों के अचानक बैठक करने के बाद सामने आ गई. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि पार्टी के 80 में से 50 विधायकों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा और अमरिंदर सिंह को बदलने के लिए कहा.
इस पर नाराज अमरिंदर सिंह ने सोनिया गांधी से बात की और कहा कि अब बहुत हो गया. उन्होंने कहा, "पिछले दो महीनों में कांग्रेस नेतृत्व द्वारा मुझे तीन बार अपमानित किया गया..उन्होंने दो बार विधायकों को दिल्ली बुलाया और आज (शनिवार) सीएलपी बुलाई... उन्हें मुझ पर भरोसा नहीं है... अब वे जिस पर भरोसा करते हैं उसे नियुक्त कर दें."