वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)
इलाहाबाद:
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना के लिए एक स्थानीय अदालत द्वारा वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ जारी समन और उसके द्वारा शुरू की गई कार्यवाही रद्द कर दी।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर जेटली के अनुरोध को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया। यह धारा हाई कोर्ट की अंतर्निहित शक्तियों से जुड़ी है।
जेटली ने उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के 19 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी जिन्होंने जेटली को 19 नवंबर के लिए तलब करते हुए पुलिस को भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धाराओं 124 ए (देशद्रोह) और 505 (लोक क्षति करने वाले बयान देना) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।
बचाव पक्ष के वकीलों में से एक नलिन कोहली के मुताबिक, जेटली के वकील मनिंदर सिंह ने दलील दी कि समन का आदेश न्यायिक पद का मनमाना दुरूपयोग है जिसके बाद हाई कोर्ट ने 19 नवंबर को जारी समन को रद्द कर दिया। खबरों के मुताबिक, कुल्पाहार सिविल जज (जूनियर डिवीजन) अंकित गोयल ने केंद्र सरकार द्वारा गठित एनजेएसी पर जेटली की हाई कार्ट की कड़ी आलोचना करने संबंधी मीडिया खबरों का संज्ञान लेते हुए वित्त मंत्री को 19 नवंबर को निजी पेशी के लिए समन किया था और महोबा के एसपी को समन की तामील कराने का निर्देश दिया था।
एनजेएसी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए जेटली ने कहा था कि भारतीय लोकतंत्र ‘गैरनिर्वाचितों की निरंकुशता’ का शिकार नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा था कि अगर निर्वाचितों को तवज्जो नहीं दी गयी तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर जेटली के अनुरोध को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया। यह धारा हाई कोर्ट की अंतर्निहित शक्तियों से जुड़ी है।
जेटली ने उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के 19 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी जिन्होंने जेटली को 19 नवंबर के लिए तलब करते हुए पुलिस को भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धाराओं 124 ए (देशद्रोह) और 505 (लोक क्षति करने वाले बयान देना) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।
बचाव पक्ष के वकीलों में से एक नलिन कोहली के मुताबिक, जेटली के वकील मनिंदर सिंह ने दलील दी कि समन का आदेश न्यायिक पद का मनमाना दुरूपयोग है जिसके बाद हाई कोर्ट ने 19 नवंबर को जारी समन को रद्द कर दिया। खबरों के मुताबिक, कुल्पाहार सिविल जज (जूनियर डिवीजन) अंकित गोयल ने केंद्र सरकार द्वारा गठित एनजेएसी पर जेटली की हाई कार्ट की कड़ी आलोचना करने संबंधी मीडिया खबरों का संज्ञान लेते हुए वित्त मंत्री को 19 नवंबर को निजी पेशी के लिए समन किया था और महोबा के एसपी को समन की तामील कराने का निर्देश दिया था।
एनजेएसी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए जेटली ने कहा था कि भारतीय लोकतंत्र ‘गैरनिर्वाचितों की निरंकुशता’ का शिकार नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा था कि अगर निर्वाचितों को तवज्जो नहीं दी गयी तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
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