असम के सामाजिक कार्यकर्ता और विधायक अखिल गोगोई (Akhil Gogoi) को विशेष NIA कोर्ट ने गुरुवार को दूसरे UAPA राजद्रोह के मामले में बरी कर दिया, जिसके बाद 2 साल बाद वह जेल से बाहर आ गए. गौरतलब है कि गोगोई ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध किया था. तब उन पर राजद्रोह और हिंसा भड़काने का आरोप लगा था. रायजोर दल के प्रमुख और RTI कार्यकर्ता अखिल गोगोई ने इसी वर्ष राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसागर सीट पर जीत दर्ज की है. उन्होंने बीजेपी की उम्मीदवार सुरभि राजकुंवर और कांग्रेस के शुभ्रमित्र गोगोई को हराया है.
गोगोई को संशोधित नागरिकता कानून (CAA) विरोधी हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका के लिए दिसंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था.उन्हें UAPA के तहत अरेस्ट किया गया था. इसी साल मार्च में भी अखिल गोगोई का नाम सुर्खियों में आया था, जब जेल से लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि हिरासत में उन्हें मानसिक एवं शारीरिक यातनाएं दी गई. NIA अधिकारियों ने उन्हें RSS या BJP में शामिल होने पर तत्काल जमानत देने का प्रस्ताव दिया था.
गौरतलब है कि जेल में बंद अखिल गोगोई ने असम की शिवसागर सीट से चुनाव जीता था. साथ ही इसी साल मार्च में अखिल गोगोई ने जेल से लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि हिरासत में उन्हें मानसिक एवं शारीरिक यातनाएं दी गईं. NIA अधिकारियों ने उन्हें RSS या BJP में शामिल होने पर तत्काल जमानत देने का प्रस्ताव दिया था. एंटी सीएए अभियान के दौरान गोगोई को दिसंबर, 2019 में जोरहाट से गिरफ्तार किया गया था. असम में हालात बिगड़ रहे थे, जिसके चलते उन्हें 'बचाव के तहत उठाए जा रहे कदम' के तहत गिरफ्तार किया गया था.
उन्होंने ये भी लिखा था कि मुझे एनआईए मुख्यालय में लॉकअप संख्या एक में रखा गया था और केवल एक गंदा कंबल दिया गया था. मैं तीन-चार डिग्री सेल्सियस तापमान में जमीन पर सोया.गोगोई ने आरोप लगाया कि एनआईए अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान उन्हें आरएसएस में शामिल होने पर तत्काल जमानत दिए जाने का प्रस्ताव दिया था.
उन्होंने ये भी लिखा था कि मैं जब इस अपमानजनक प्रस्ताव के खिलाफ दलील दे रहा था, तो उन्होंने भाजपा में शामिल होने का एक और प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि मैं किसी रिक्त सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकता हूं और मंत्री बन सकता हूं.'' आरटीआई कार्यकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें ‘कृषक मुक्ति संग्राम समिति' (केएमएसएस) छोड़कर असम के लोगों का धर्मांतरण करके उन्हें ईसाई बनाए जाने के खिलाफ काम करने पर एक एनजीओ शुरू करने के लिए 20 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया था. गोगोई ने कहा था कि मैंने जब उनका कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया, तो उन्होंने मुख्यमंत्री या असम के किसी प्रभावशाली मंत्री से मुलाकात कराने का प्रस्ताव रखा. मैंने उसे भी ठुकरा दिया.'' उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने एनआईए का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया, तो उन्हें ‘‘अवज्ञा करने वाला नागरिक'' करार दिया गया और उनके खिलाफ गंभीर मामले दर्ज किए गए.
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