देश में सर्दियों की आहट के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण (Delhi air pollution) में भी इजाफा हो रहा है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में वायु प्रदूषण (Air Pollution) बढ़ गया है. यही कारण है कि देश के सबसे प्रदूषित शहरों में टॉप-10 में ज्यादातर दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) के शहर हैं. इनमें उत्तर प्रदेश का ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) पहले स्थान पर है, वहीं इसके बाद दूसरे स्थान पर हरियाणा का गुरुग्राम शामिल है.सबसे ज्यादा प्रदूषित दस शहरों (Top 10 Polluted Cities) में हरियाणा के पांच, उत्तर प्रदेश के तीन शहरों के साथ राजस्थान का एक शहर शामिल हैं.
सुबह 10 बजे की बात करें तो टॉप 10 प्रदूषित शहरों में करनाल, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मानेसर, गुरुग्राम, बुलंदशहर, भिवाड़ी, यमुनागर, हिसार और हापुड़ क्रमशः 1 से 10 पायदानों पर थे. करनाल सुबह 10 बजे प्रदूषित शहर रिकॉर्ड किया गया. ग्रेटर नोएडा दूसरी पायदान पर था. इस लिस्ट में यूपी के तीन और हरियाणा के 5 शहर थे. गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा में कई इलाकों में पराली जलाने की खबरें सामने आ रही हैं.
सुबह 10 बजे की बात करें तो टॉप 10 प्रदूषित शहरों में करनाल, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मानेसर, गुरुग्राम, बुलंदशहर, भिवाड़ी, यमुनागर, हिसार और हापुड़ क्रमशः 1 से 10 पायदानों पर थे. करनाल सुबह 10 बजे प्रदूषित शहर रिकॉर्ड किया गया. ग्रेटर नोएडा दूसरी पायदान पर था. इस लिस्ट में यूपी के तीन और हरियाणा के 5 शहर थे. गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा में कई इलाकों में पराली जलाने (Stubble Burning) की खबरें सामने आ रही हैं.
गाजियाबाद में यह 297, गुरुग्राम में 278, मानेसर में 284, बुलंदशहर में 274, यमुनगर में 267, हिसार में 267, हापुड़ में प्रदूषण की हालत बताने वाला एक्यूआई 264 पर था. एक्यूआई में पीएम 2.5 (Pm 2.5) पीएम 10 (PM 10), ओजोन, नाइट्रोजन गैसों का स्तर शामिल है.
CPCB के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 25 ऐसे शहर हैं, जहां की वायु गुणवत्ता खराब पाई गई है. इनमें से 12 शहर अकेले उत्तर प्रदेश के हैं. इसके साथ ही हरियाणा के 10 शहर इस सूची में खराब वायु गुणवत्ता के कारण शामिल किए गए हैं.
ऐसे समझिए वायु गुणवत्ता सूचकांक को
वायु गुणवत्ता सूचकांक में प्रदूषण का स्तर 0-50 तक होने पर न्यूनतम प्रभाव होता है. इसके बाद 51-100 तक संतोषजनक लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस लेने में परेशानी, 101-200 तक मध्यम जिसमें फेफड़ों, अस्थमा और ह्रदय रोगों से पीड़ित लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है. इसके बाद 201-300 तक खराब स्थिति होती है, जिसके लंबे समय तक संपर्क में रहने पर अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. वहीं 301-400 तक बेहद खराब स्थिति होती है, जिसके लंबे समय तक संपर्क में आने से सांस लेने से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. वहीं 401-500 का स्तर बेहद गंभीर माना जाता है, जिसमें पूर्ण रूप से स्वस्थ लोग भी प्रभावित होते हैं और यह मौजूदा बीमारियों वाले लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.
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