प्रतीकात्मक तस्वीर
सियाचिन:
दुनिया के सर्वोच्च और दुर्गम रणक्षेत्र सियाचिन में तैनात हजारों जवानों के लिए जीवनरेखा के तौर पर काम करने वाली वायुसेना की ‘सियाचिन पॉयोनियर्स’ यूनिट पुराने हो चुके चीता हेलीकॉप्टरों की जगह चीतल हेलीकॉप्टरों को तैनात करना चाहती है जो आधुनिक इंजन से युक्त हैं.
114 हेलीकॉप्टर यूनिट के नाम से प्रसिद्ध सियाचिन पॉयोनियर्स 22,000 फुट ऊंचाई पर तैनात जवानों के लिए आधार का काम करती है और सियाचिन ग्लेशियर में विभिन्न चौकियों पर जरूरी खाद्य सामग्री और उपकरणों को पहुंचाती है. यह यूनिट फिलहाल 14 हेलीकॉप्टरों का परिचालन करती है जिनमें से 10 चीतल हैं और चार चीता हैं.
चीता हेलीकॉप्टर पहली बार 1970 के दशक में उपलब्ध कराये गये थे. चीता हेलीकॉप्टर को इंजन बदलकर चीतल के रूप में नया स्वरूप प्रदान किया गया और इसमें फ्रांसीसी टबरेमेका इंजन लगा होता है जिससे आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव भी चलते हैं. साल 2002 में शुरू की गयी परियोजना का उद्देश्य अधिक ऊंचाई पर अभियान क्षमताओं को बढ़ाना और सुरक्षित तथा भरोसेमंद संचालन के लिए उन्नत बनाना है.
114 ‘सियाचिन पॉयोनियर्स’ के कमांडिंग अधिकारी, विंग कमांडर एस रमेश ने कहा, ‘‘हम चीतल के प्रदर्शन से बहुत खुश हैं. वे न केवल चीता से अधिक शक्तिशाली हैं बल्कि इस लिहाज से भी समर्थ हैं कि उन पर थोड़ा अधिक भार ले जाया जा सकता है.’’ विंग कमांडर रमेश ने कहा कि यूनिट चीता हेलीकॉप्टरों की जगह चीतल हेलीकॉप्टरों को लाने पर विचार कर रही है.
‘सियाचिन पॉयोनियर्स’ के हेलीकॉप्टर रोजाना तेज बर्फीली हवाओं और अन्य प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों को धता बताते हुए सियाचिन ग्लेशियर की उड़ान भरते हैं. यह बेड़ा करगिल से पूर्वी लद्दाख तक मोर्चा संभालता है. इसने इस सबकी कीमत भी अदा की है. यह यूनिट अब तक अपने 13 अधिकारियों को खो चुकी है. संभवत: यह यूनिट दुनिया में एकमात्र है जो ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के कारण तीन दशक से अधिक समय से लगातार सक्रिय है. इस यूनिट को 25,140 फुट की ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर उतारने के लिए लिम्का बुक फॉर वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह मिली थी.
इन सबके अलावा इस यूनिट को साल दर साल दुनियाभर से पर्वतारोहियों और ट्रैकरों को बचाने का साहसिक कारनामा करने के लिए भी जाना जाता है. इसके हेलीकॉप्टर लेह और लद्दाख इलाके के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों की मदद के लिए भी उड़ान भरते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
114 हेलीकॉप्टर यूनिट के नाम से प्रसिद्ध सियाचिन पॉयोनियर्स 22,000 फुट ऊंचाई पर तैनात जवानों के लिए आधार का काम करती है और सियाचिन ग्लेशियर में विभिन्न चौकियों पर जरूरी खाद्य सामग्री और उपकरणों को पहुंचाती है. यह यूनिट फिलहाल 14 हेलीकॉप्टरों का परिचालन करती है जिनमें से 10 चीतल हैं और चार चीता हैं.
चीता हेलीकॉप्टर पहली बार 1970 के दशक में उपलब्ध कराये गये थे. चीता हेलीकॉप्टर को इंजन बदलकर चीतल के रूप में नया स्वरूप प्रदान किया गया और इसमें फ्रांसीसी टबरेमेका इंजन लगा होता है जिससे आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव भी चलते हैं. साल 2002 में शुरू की गयी परियोजना का उद्देश्य अधिक ऊंचाई पर अभियान क्षमताओं को बढ़ाना और सुरक्षित तथा भरोसेमंद संचालन के लिए उन्नत बनाना है.
114 ‘सियाचिन पॉयोनियर्स’ के कमांडिंग अधिकारी, विंग कमांडर एस रमेश ने कहा, ‘‘हम चीतल के प्रदर्शन से बहुत खुश हैं. वे न केवल चीता से अधिक शक्तिशाली हैं बल्कि इस लिहाज से भी समर्थ हैं कि उन पर थोड़ा अधिक भार ले जाया जा सकता है.’’ विंग कमांडर रमेश ने कहा कि यूनिट चीता हेलीकॉप्टरों की जगह चीतल हेलीकॉप्टरों को लाने पर विचार कर रही है.
‘सियाचिन पॉयोनियर्स’ के हेलीकॉप्टर रोजाना तेज बर्फीली हवाओं और अन्य प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों को धता बताते हुए सियाचिन ग्लेशियर की उड़ान भरते हैं. यह बेड़ा करगिल से पूर्वी लद्दाख तक मोर्चा संभालता है. इसने इस सबकी कीमत भी अदा की है. यह यूनिट अब तक अपने 13 अधिकारियों को खो चुकी है. संभवत: यह यूनिट दुनिया में एकमात्र है जो ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के कारण तीन दशक से अधिक समय से लगातार सक्रिय है. इस यूनिट को 25,140 फुट की ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर उतारने के लिए लिम्का बुक फॉर वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह मिली थी.
इन सबके अलावा इस यूनिट को साल दर साल दुनियाभर से पर्वतारोहियों और ट्रैकरों को बचाने का साहसिक कारनामा करने के लिए भी जाना जाता है. इसके हेलीकॉप्टर लेह और लद्दाख इलाके के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों की मदद के लिए भी उड़ान भरते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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