सरकार की ओर से कह दिया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग रखिए लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. राज्यों की सीमाओं पर लोग इंतजार में हैं कि कब उनके घर जाने के लिए कोई बस आएगी या सरकार की ओर से कोई इंतजाम किया जाएगा. इस सबके के बीच एक मासूम बैग को बिस्तर समझ उसी पर सोता हुआ नजर आया. महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश की सीमा पर बड़वानी में सैकड़ों मजदूर अपने घर जाने के लिए इकट्ठा हुए हैं. एक बस आती है तो भीड़ उस पर टूट पड़ती है. इसकी असल मार कमजोर लोगों पर पड़ती है. एक गर्भवती महिला कल रात 12 बजे से बस का इंतजार कर रही है. उसका एक छोटा बच्चा भी है, जो बैग पर इंतजार करते-करते थककर सो गया है.
दरअसल , महाराष्ट्र और गुजरात से आए लोगों को मध्यप्रदेश की सीमा पर छोड़ दिया गया है. ये लोग लगातार इंतजार कर रहे हैं कि कब इनकी बस आएगी और ये अपने घर जा सकेंगे. बसों का इंतजार करे रहे लोगों के साथ बच्चे भी हैं. कुछ लोगों के पास अपने बच्चों को देने के लिए दूध भी नहीं है. दुधमुंहे बच्चों को भी बिस्किट या ब्रेड खिलाकर काम चलाया जा रहा है. स्थिति यह है कि जब बस आती भी है तो भगदड़ मच जाती है जिसमें कमजोर लोग चढ़ नहीं पाते हैं.
कई लोगों ने बताया कि उनको बस से चढ़ने के बाद उतार दिया गया . बसों के इंतजार में भी जो लोग हैं वे भी आपस में लाइन को लेकर झगड़ रहे हैं. सब ये चाहते हैं कि बस में चढ़ने का उनको सबसे पहले मौका मिले. यहां जो लोग हैं न तो उनके पास शौच की कोई व्यवस्था है न हीं खाने पीने का ही कोई इंतजाम. मजबूरन लोगों को धूप में ही बस का इंतजार करना पड़ता है. यहां तक कि दोहपर में लोगों को प्रदर्शन करना पड़ा, जिसके बाद बसें आनी शुरू हुई.
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