केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (फाइल फोटो)
भोपाल:
केन्द्रीय विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने सोमवार को कहा कि भाजपा हमेशा से सेना का सम्मान करती है और सैनिकों के हित में सोचती है। अत: सेवानिवृत्त सैनिकों के ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) मामले में कुछ पेचीदगियों को ठीक कर इसे लागू किया जाएगा।
सिंह ने कहा, ‘‘भाजपा हमेशा से सेना और सैनिकों का सम्मान करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ओआरओपी पर सहमत हैं, लेकिन इसमें कुछ तकनीकी पेचीदगियों को ठीक कर इसे लागू किया जाएगा ताकि बाद में इसमें कोई कानूनी अड़ंगा न पैदा हो सके।’’
केन्द्रीय मंत्री यहां प्रदेश की राजधानी में 10 से 12 सितम्बर तक आयोजित होने वाले विश्व हिन्दी सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लेने आए हुए थे।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में उनके सेनाध्यक्ष रहते ओआरओपी योजना का लेखाजोखा कराया गया था। इस पर 3200 करोड़ का खर्च सामने आया था, लेकिन कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार की नीतियों के कारण यह मंजूर नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि अब इसे लागू करने पर 8,000 करोड़ से अधिक का खर्च आएगा। लेकिन उनका मानना है कि सैनिकों के हित में देश यह खर्च वहन कर सकता है और इसमें प्रतिवर्ष कोई बड़ा इजाफा भी नहीं होगा। हालांकि सिंह ने ओआरओपी योजना लागू करने के संबंध में कोई निश्चित समय सीमा बताने से इंकार किया।
सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं इस योजना की तकनीकी बाधाओं को दूर कर इसे लागू किया जाये ताकि बाद में इसमें कोई कानूनी अड़चन पैदा न हो सके।
दिल्ली पुलिस द्वारा जंतर-मंतर पर सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ किए गए दुर्व्यवहार को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस का जवान केवल आदेश का पालन करता है वह संवेदनशील नहीं होता कि सामने कौन है यह समझ सके। लेकिन इस मामले में नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) अधिक दोषी है, जिसने उनके टेंट और अन्य सामान को ताबड़तोड़ हटाया था।
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों को ओआरओपी मुद्दे पर आंदोलन करने की आवश्यकता ही नहीं थी। इस मामले का हल बातचीत से निकाला जा सकता है।
सिंह ने कहा, ‘‘भाजपा हमेशा से सेना और सैनिकों का सम्मान करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ओआरओपी पर सहमत हैं, लेकिन इसमें कुछ तकनीकी पेचीदगियों को ठीक कर इसे लागू किया जाएगा ताकि बाद में इसमें कोई कानूनी अड़ंगा न पैदा हो सके।’’
केन्द्रीय मंत्री यहां प्रदेश की राजधानी में 10 से 12 सितम्बर तक आयोजित होने वाले विश्व हिन्दी सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लेने आए हुए थे।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में उनके सेनाध्यक्ष रहते ओआरओपी योजना का लेखाजोखा कराया गया था। इस पर 3200 करोड़ का खर्च सामने आया था, लेकिन कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार की नीतियों के कारण यह मंजूर नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि अब इसे लागू करने पर 8,000 करोड़ से अधिक का खर्च आएगा। लेकिन उनका मानना है कि सैनिकों के हित में देश यह खर्च वहन कर सकता है और इसमें प्रतिवर्ष कोई बड़ा इजाफा भी नहीं होगा। हालांकि सिंह ने ओआरओपी योजना लागू करने के संबंध में कोई निश्चित समय सीमा बताने से इंकार किया।
सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं इस योजना की तकनीकी बाधाओं को दूर कर इसे लागू किया जाये ताकि बाद में इसमें कोई कानूनी अड़चन पैदा न हो सके।
दिल्ली पुलिस द्वारा जंतर-मंतर पर सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ किए गए दुर्व्यवहार को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस का जवान केवल आदेश का पालन करता है वह संवेदनशील नहीं होता कि सामने कौन है यह समझ सके। लेकिन इस मामले में नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) अधिक दोषी है, जिसने उनके टेंट और अन्य सामान को ताबड़तोड़ हटाया था।
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों को ओआरओपी मुद्दे पर आंदोलन करने की आवश्यकता ही नहीं थी। इस मामले का हल बातचीत से निकाला जा सकता है।
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