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This Article is From Oct 19, 2021

ग्राहक से हुए विवाद के बाद #Reject_Zomato हुआ ट्रेंड, ज़ोमैटो ने कस्टमर केयर एजेंट को किया बहाल, बताया 'अनजाने में हुई गलती'

ज़ोमैटो के संस्थापक दीपिंदर गोयल ने इसे 'अनजाने में हुए गलती' करार दिया और घोषणा की कि एजेंट को बहाल कर दिया गया है.

ग्राहक से हुए विवाद के बाद #Reject_Zomato हुआ ट्रेंड, ज़ोमैटो ने कस्टमर केयर एजेंट को किया बहाल, बताया 'अनजाने में हुई गलती'
ज़ोमैटो ने देशवासियों से सहनशीलता बढ़ाने का आग्रह किया है...
नई दिल्ली:

तमिलनाडु के एक ग्राहक को 'झूठा' कहकर पुकारने और उन्हें 'हिन्दी सीखने' के लिए कहने की वजह से एक कर्मचारी को निकाल देने के कुछ ही घंटे बाद रेस्तरां एग्रीगेटर तथा फूड डिलीवरी कंपनी ज़ोमैटो के संस्थापक ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि कंपनी उस कर्मचारी को बहाल कर रही है, और साथ ही कहा कि 'देश में सहनशीलता का स्तर' इससे कहीं अधिक होना चाहिए.

इस ट्वीट में कंपनी के संस्थापक दीपिंदर गोयल ने अच्छा असर डालने के लिए जोड़ा, 'तमिलनाडु, हमें आपसे प्यार है...'

दरअसल, "@Vikash67456607" नामक एक यूज़र के ट्वीट से माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट पर बड़ी बहस छिड़ गई थी, और हैशटैग "Reject_Zomato" टॉप ट्रेंड में शुमार हो गया था. कंपनी ने इसके बाद एक विस्तृत बयान जारी किया, जिसकी शुरुआत ही नर्म रुख दिखाते हुए तमिल नमस्कार 'वणक्कम' से की थी, और लोगों से ज़ोमैटो को खारिज नहीं करने का आग्रह किया था.

अंग्रेज़ी और तमिल में जारी किए गए बयान में कंपनी ने कहा था, "हम अपने कस्टमर केयर एजेंट के व्यवहार के लिए क्षमा चाहते हैं, और हमारी विविधतापूर्ण संस्कृति की अनदेखी करने के लिए हमने एजेंट को बर्खास्त कर दिया है... यह बर्खास्तगी हमारे प्रोटोकॉल के तहत की गई है, और एजेंट का व्यवहार स्पष्ट रूप से संवेदनशीलता के हमारे उन सिद्धांतों के विरुद्ध था, जिनके लिए हम अपने एजेंटों को नियमित रूप से प्रशिक्षण देते रहते हैं..."

कंपनी ने अपने कर्मचारी के व्यवहार से दूरी बनाते हुए साफ कहा था, "इस कस्टमर केयर एजेंट की कही हुई कोई भी बात भाषा तथा विविधता को लेकर हमारी कंपनी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करती है..."

कुछ ही देर बाद, जब इसे लेकर गुस्सा बढ़ता चला जा रहा था, कंपनी के संस्थापक ने इसे 'अनजाने में हुए गलती' करार दिया और घोषणा की कि एजेंट को बहाल कर दिया गया है.

उन्होंने कहा, "एक फूड डिलीवरी कंपनी के सपोर्ट सेंटर में किसी से अनजाने में हुई गलती भी राष्ट्रीय मुद्दा बन गई... देश में सहनशीलता का स्तर इससे कहीं अधिक होना चाहिए, जो आजकल है... इसके लिए किसे दोष दिया जाना चाहिए...?" उन्होंने यह भी कहा कि वह शख्स ज़िन्दगी में आगे बढ़ते हुए भी सीख सकता है.

दीपिंदर गोयल ने ज़ोर देकर कहा कि सभी कॉल सेंटर एजेंट युवा लोग हैं, और वे भाषा तथा क्षेत्रीय भावनाओं के विशेषज्ञ नहीं हैं.

ज़ोमैटो संस्थापक ने आगे लिखा, "इसके बाद कहना चाहता हूं, हम सभी को एक दूसरे की कमियों को सहन करना चाहिए... तथा एक दूसरे की भाषा तथा क्षेत्रीय भावनाओं का आदर करना चाहिए... हमें आपसे प्यार है, जिस तरह हमें बाकी देश से प्यार है... कम नहीं, ज़्यादा नहीं... हम सभी एक समान हैं, उतना ही एक जैसे, जितना एक दूसरे से अलग हैं..."

इस वाकये ने उस वक्त राजनैतिक रंग ले लिया, जब DMK नेता कनिमोई ने विवाद में दखल दिया. उन्होंने लिखा, "तमिलियनों को यह जानने के लिए किसी ज्ञान की आवश्यकता नहीं कि कौन भारतीय है... ऐसा नहीं हो सकता कि ग्राहक को हिन्दी या अंग्रेज़ी आनी ही चाहिए... यह सपोर्ट सेंटरों के लिए अनिवार्य होना चाहिए कि वे राज्य की भाषा में बात करें..."

कंपनी ने कहा कि उन्होंने जाने-माने तमिल संगीतज्ञ अनिरुद्ध रविचंद्रन को स्थानीय ब्रांड एम्बैसेडर के तौर पर अपने साथ जोड़ा है. कंपनी ने यह भी कहा कि वे अपने ऐप का तमिल वर्शन, तथा कोयम्बटूर में स्थानीय तमिल कॉल सपोर्ट सेंटर भी तैयार कर रहे हैं.

ग्राहक विकाश ने आरोप लगाया था कि जब उन्होंने अपने ऑर्डर में से किसी वस्तु के गायब होने के बारे में बताने के लिए फोन किया, तो कस्टमर केयर की ओऱ से कहा गया कि शिकायत दर्ज नहीं हो सकती, क्योंकि 'मुझे हिन्दी नहीं आती...'

विकाश ने कहा, "ज़ोमैटो से खाना ऑर्डर किया, और एक आइटम नदारद थी... कस्टमर केयर ने कहा कि रकम लौटाई नहीं जा सकती, क्योंकि मुझे हिन्दी नहीं आती... यह भी सिखाया गया कि भारतीय होने के नाते मुझे हिन्दी आनी चाहिए... चूंकि उन्हें तमिल नहीं आती, इसलिए उन्होंने मुझे 'झूठा' करार दिया..." ग्राहक विकाश ने इन असंवेदनशील टिप्पणियों के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए.

कस्टमर केयर ने विकाश को लिखा था, "आपकी जानकारी के लिए हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है... सो, यह सामान्य है कि हर किसी को थोड़ी-बहुत हिन्दी आनी चाहिए..."

वैसे, भारत में कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है. भारत में 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषाओं का दर्जा मिला हुआ है.

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