Jitin Prasada quit the Congress: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस समय लगातार समस्याओं से जूझ रही है. पार्टी के प्रमुख युवा नेता और राहुल गांधी के एक समय बेहद करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद बुधवार को बीजेपी में शामिल हो गए. जितिन के बाद कांग्रेस से अब किसकी 'बारी', इसे लेकर चर्चाओं और अटकलों का दौर शुरू हो गया है. जितिन के बीजेपी में जाते ही राजस्थान के कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot)' का नाम ट्रेंड करने लगा. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सवाल किया-ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के बाद क्या 'वे' अगले नेता होंगे? इसके पीछे कारण भी बताए जा रहे हैं. पिछले साल राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सचिन पायलट से किए गए वादों को कांग्रेस हाईकमान ने अब तक पूरा नहीं किया है.
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गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट के 'बागी तेवरों' और उनके 'लगभग बाहर' आने को राजस्थान की कांग्रस सरकार को गिराने के बीजेपी के मास्टर प्लान का हिस्सा माना जा रहा था. हालांकि यह प्लान, अंतिम नतीजे तक नहीं पहुंच पाया. गांधी परिवार के साथ मीटिंग के बाद सचिन ने अपना इरादा बदल दिया. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था-मैंने जो मुद्दे उठाए हैं, उनके निराकरण का वादा किया गया है. हालांकि सचिन ने बुधवार को एक इंटरव्यू में पार्टी आलाकमान को याद दिलाया है कि इन 'वादों' को अब तक पूरा नहीं किया गया है. Hindustan Times को दिए इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा, '10 माह हो चुके हैं. मुझसे कहा गया कि समिति की ओर से तत्परता से कार्रवाई की जाएगी लेकिन आधा कार्यकाल (राजस्थान सरकार का) हो चुका है और इन मुद्दों को सुलझाया नहीं गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी के पक्ष में जनादेश (राजस्थान में) दिलाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं की आवाज को सुना नहीं जा रहा है. '
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कांग्रेस के लिए अब राजस्थान के सीएम गहलोत और सचिन पायलट, दोनों को ही एक साथ खुश रखना, कठिन चुनौती साबित हो रहा है. राजस्थान में कैबिनेट विस्तार में सचिन पायलट कैंप को ज्यादा स्थान देना इसका एक समाधान हो सकता है. बताया जाता है कि सीएम गहलोत इसलिए राजी है. कैबिनेट विस्तार की मांग विभिन्न कारणों के चलते लंबित है. सूत्र बताते हैं कि पायलट की मांगों पर विचार के लिए गठित किया गया पैनल की अगस्त के बाद से मीटिंग नहीं हुई है. इस पैनल के एक सदस्य, अहमद पटेल की पिछले साल नवंबर मों कोविड के कारण मौत हो गई थी. अहमद पटेल को कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का 'प्रमुख संकटमोचक' माना जाता था.
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