भाजपा की सियासी गणित में कैसे फिट बैठे जितिन प्रसाद, जानें यूपी में चुनाव से पहले क्यों हुआ ये बड़ा उलटफेर

चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सियासी सरगर्मी उफान पर है. इस बीच कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) का भाजपा (BJP) में शामिल होना यूपी की राजनीति (UP Politics) में एक बड़े दाव के तौर पर देखा जा रहा है.

भाजपा की सियासी गणित में कैसे फिट बैठे जितिन प्रसाद, जानें यूपी में चुनाव से पहले क्यों हुआ ये बड़ा उलटफेर

राहुल गांधी के करीबी नेता जितिन प्रसाद ने थामा भाजपा का दामन. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

देश की राजनीति की दिशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) होने हैं. चुनाव से पहले राज्य में सियासी सरगर्मी उफान पर है. इस बीच कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) का भाजपा (BJP) में शामिल होना यूपी की राजनीति (UP Politics) में एक बड़े दाव के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि यूपी में भाजपा से नाराज बताए जा रहे ब्राह्मणों को खुश करने में जितिन प्रसाद अहम भूमिका निभा सकते हैं.  

राज्य के धौरहरा निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व लोकसभा सदस्य जितिन प्रसाद राज्य के प्रमुख ब्राह्मण नेताओं में से एक हैं. माना जा रहा है कि उनके भाजपा में शामिल होने से पार्टी से खफा बताए जा रहे ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने में मदद मिलेगी.

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उत्तर प्रदेश की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा ब्राह्मण वर्ग से आता है. 80 के दशक से ही ब्राह्मणों को भाजपा का प्रबल समर्थक बताया गया है. ये वही दौर था जब मायावती ने तीन उच्च जातियों के खिलाफ अपने "तिलक, तराज़ू और तलवार" नारे के साथ सियासी जमीन मजबूत करने का अभियान शुरू किया था. 

लेकिन योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से खबरें आती रहीं हैं कि ब्राह्मण वर्ग उनसे नाराज चल रहा है. ब्राह्मणों की नाराजगी के पीछे कारण यह बताया गया कि योगी सरकार में राज्य के शीर्ष पदों पर ज्यादातर ठाकुर जाति के लोगों का ही चयन किया गया. विकास दुबे मुठभेड़ के बाद भी ब्राह्मण संगठनों में आक्रोश देखने को मिला था. वहीं, ब्राह्मण समुदाय के कई लोगों ने यह भी कहा था कि ज्ञात गैंगस्टर के साथ उनकी कोई व्यक्तिगत सहानुभूति नहीं थी.

यह भी स्पष्ट है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में भाजपा के ही कुछ नेताओं में नाराजगी के भाव देखने को मिले. यह भी तय है कि अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ही भाजपा का नेतृत्व करेंगे. ऐसे में जितिन प्रसाद का भाजपा में शामिल होना ब्राह्मणों को शांत करने के लिए जवाबी कदम के रूप में देखा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चुने गए पूर्व नौकरशाह एके शर्मा को लखनऊ भेजना भी इसी कड़ी का हिस्सा हो सकता है.

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बता दें कि जितिन प्रसाद राहुल गांधी के करीबी नेताओं में से एक थे. वे मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे. कांग्रेस के सत्ता से हटने के बाद से जितिन प्रसाद का राजनीतिक जीवन भी हाशिये पर था.