इम्फाल की सड़क पर रॉबिनहुड के नाम के नारे लग रहे हैं
इम्फाल:
इम्फाल की सड़कों पर 'लॉन्ग लिव मणिपुर, लॉन्ग लिव रॉबिनहुड' के नारे लग रहे थे। महिलाएं फूल बरसा रहीं थीं। बच्चे औऱ नौजवान उसके सम्मान में सिक्के उछाल रहे थे। मणिपुर के लोग उसके मारे जाने के करीब दो महीने बाद उसका शव लेने को तैयार हुए। करीब पच्चीस हज़ार से ज्यादा लोगों ने गुरुवार को ग्यारहवीं के छात्र रहे सपम रॉबिनहुड को विदाई दी। कई आंखें नम थीं और कई सवाल मणिपुर के आगे खड़े थे।
पिछली 8 जुलाई को इंफाल में इनर लाइन परमिट कानून के विरोध में प्रदर्शन हुआ। पुलिस ने लाठी चार्ज किया, रबर बुलेट चलाई और आंसू गैस छोड़ी। इसी विरोध प्रदर्शन में सत्रह साल के इस लड़के की मौत हो गई। इसके बाद मणिपुर के हालात खराब बने रहे औऱ इम्पाल में कर्फ्यू लगा रहा। गुरुवार को जब सपम रॉबिन हुड की शवयात्रा निकली तो उसमें बड़ी संख्या में महिलाएं थीं।
स्कूली बच्चों से लेकर बुजुर्ग थे और कई मैती संगठनों के लोग भी शामिल थे। इम्फाल के रहने वाले ऊषारंजन का कहना है, ‘पहली बार हम लोगों ने अपने किसी बच्चे का शव लेने के लिये इतने दिनों तक मना किया क्योंकि हम इन लाइन परमिट कानून चाहते हैं। हम चाहते हैं कि बाहर से आने वालों की पहचान की जाये। उनकी संख्या पर नियंत्रण होना चाहिये।' उषा का कहना है 'नगालैंड, मिज़ोरम और अरुणाचल में ऐसा कानून पहले से है लेकिन यहां क्यों नहीं है। इसी मांग को लेकर 2 महीने तक रॉबिनहुड का शव नहीं लिया गया और अब उसका अंतिम संस्कार करने को तैयार हुये हैं।’
सरकार ने अब तक इनर लाइन परमिट कानून लागू तो नहीं किया लेकिन मणिपुर विधानसभा ने तीन कानून पिछले दिनों विधानसभा में पास ज़रूर किये। इन कानूनों से घाटी में रहने वाले मैती समुदाय के लोगों का गुस्सा ठंडा पड़ता इससे पहले ही पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय ने विरोध करना शुरू कर दिया जिन्हें लगता है कि इनर लाइन परमिट या हाल में पास किये गये कानून उनके वजूद के लिये खतरा हैं। ताज़ा हिंसा में 8 लोग मारे गये हैं और चूड़ाचांदपुर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
आज मणिपुर के घाटी में रहने वाले मैती समुदाय को लगता है कि पहाड़ी इलाकों में रह रहे कुकी और नागा उनका हक मार रहे हैं। कुकी और नागा समुदाय के पास आदिवासी का दर्जा है और उन्हें नौकरियों में फायदा मिलता है। इसके अलावा मौजूदा हाल में मैती समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में ज़मीन नहीं खरीद सकते जबकि आदिवासी घाटी में आकर बस सकते हैं। यही वजह है कि मैती समुदाय में असंतोष बढ़ता जा रहा है और पिछले कई सालों से मैती समुदाय के कुछ लोग भी आदिवासी का अब आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
पिछली 8 जुलाई को इंफाल में इनर लाइन परमिट कानून के विरोध में प्रदर्शन हुआ। पुलिस ने लाठी चार्ज किया, रबर बुलेट चलाई और आंसू गैस छोड़ी। इसी विरोध प्रदर्शन में सत्रह साल के इस लड़के की मौत हो गई। इसके बाद मणिपुर के हालात खराब बने रहे औऱ इम्पाल में कर्फ्यू लगा रहा। गुरुवार को जब सपम रॉबिन हुड की शवयात्रा निकली तो उसमें बड़ी संख्या में महिलाएं थीं।
स्कूली बच्चों से लेकर बुजुर्ग थे और कई मैती संगठनों के लोग भी शामिल थे। इम्फाल के रहने वाले ऊषारंजन का कहना है, ‘पहली बार हम लोगों ने अपने किसी बच्चे का शव लेने के लिये इतने दिनों तक मना किया क्योंकि हम इन लाइन परमिट कानून चाहते हैं। हम चाहते हैं कि बाहर से आने वालों की पहचान की जाये। उनकी संख्या पर नियंत्रण होना चाहिये।' उषा का कहना है 'नगालैंड, मिज़ोरम और अरुणाचल में ऐसा कानून पहले से है लेकिन यहां क्यों नहीं है। इसी मांग को लेकर 2 महीने तक रॉबिनहुड का शव नहीं लिया गया और अब उसका अंतिम संस्कार करने को तैयार हुये हैं।’
सरकार ने अब तक इनर लाइन परमिट कानून लागू तो नहीं किया लेकिन मणिपुर विधानसभा ने तीन कानून पिछले दिनों विधानसभा में पास ज़रूर किये। इन कानूनों से घाटी में रहने वाले मैती समुदाय के लोगों का गुस्सा ठंडा पड़ता इससे पहले ही पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय ने विरोध करना शुरू कर दिया जिन्हें लगता है कि इनर लाइन परमिट या हाल में पास किये गये कानून उनके वजूद के लिये खतरा हैं। ताज़ा हिंसा में 8 लोग मारे गये हैं और चूड़ाचांदपुर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
आज मणिपुर के घाटी में रहने वाले मैती समुदाय को लगता है कि पहाड़ी इलाकों में रह रहे कुकी और नागा उनका हक मार रहे हैं। कुकी और नागा समुदाय के पास आदिवासी का दर्जा है और उन्हें नौकरियों में फायदा मिलता है। इसके अलावा मौजूदा हाल में मैती समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में ज़मीन नहीं खरीद सकते जबकि आदिवासी घाटी में आकर बस सकते हैं। यही वजह है कि मैती समुदाय में असंतोष बढ़ता जा रहा है और पिछले कई सालों से मैती समुदाय के कुछ लोग भी आदिवासी का अब आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
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