कोर्ट ने कहा, सरकार पेंशन या अन्य किसी भी तरह के लाभ देने के मामले में आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बना सकती...
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद अहम फैसले में सोमवार को कहा है कि कल्याणकारी योजनाओं के मामले में आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं किया जा सकता, हालांकि इन्कम टैक्स या किसी तरह नॉन-बैनिफिशियल योजनाओं के मामले में सरकार आधार कार्ड मांग सकती है.
आधार कार्ड की अनिवार्यता से जुड़े मामले में देश के प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि फिलहाल इस मामले की सुनवाई नहीं की जाएगी, और सुनवाई सामान्य तरीके से आने पर ही होगी. कोर्ट ने याद दिलाया कि आधार कार्ड के संबंध में संविधान पीठ पहले ही आदेश जारी कर चुकी है कि अगर बैनिफिशियल योजना का मामला है, तो आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं किया जा सकता.
यानी, सरकार पेंशन या अन्य किसी तरह के लाभ देने के मामले यह नहीं कह सकती कि ये लाभ इसलिए नहीं मिलेंगे, क्योंकि आपके पास आधार कार्ड नहीं है, लेकिन अगर इन्कम टैक्स या दूसरे नॉन-बैनिफिशियल भुगतानों से जुड़ा मामला है, तो सरकार आधार कार्ड मांग सकती है.
दरअसल, याचिकाकर्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं किया जा सकता, और यह स्वैच्छिक है, लेकिन अब केंद्र सरकार इम्कम टैक्स से जुड़ी योजनाओं में आधार कार्ड मांग रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्ंलधन है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जल्द सुनवाई करे.
आधार कार्ड की अनिवार्यता से जुड़े मामले में देश के प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि फिलहाल इस मामले की सुनवाई नहीं की जाएगी, और सुनवाई सामान्य तरीके से आने पर ही होगी. कोर्ट ने याद दिलाया कि आधार कार्ड के संबंध में संविधान पीठ पहले ही आदेश जारी कर चुकी है कि अगर बैनिफिशियल योजना का मामला है, तो आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं किया जा सकता.
यानी, सरकार पेंशन या अन्य किसी तरह के लाभ देने के मामले यह नहीं कह सकती कि ये लाभ इसलिए नहीं मिलेंगे, क्योंकि आपके पास आधार कार्ड नहीं है, लेकिन अगर इन्कम टैक्स या दूसरे नॉन-बैनिफिशियल भुगतानों से जुड़ा मामला है, तो सरकार आधार कार्ड मांग सकती है.
दरअसल, याचिकाकर्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं किया जा सकता, और यह स्वैच्छिक है, लेकिन अब केंद्र सरकार इम्कम टैक्स से जुड़ी योजनाओं में आधार कार्ड मांग रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्ंलधन है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जल्द सुनवाई करे.
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