
एनडीटीवी से बात करते टैक्सी ड्राइवर विजय ठाकुर
मुंबई:
मुम्बई में एक टैक्सी ड्राईवर पिछले 31 सालों से मारीजों को मुफ़्त में अपनी टैक्सी में अस्पताल छोड़ रहा है। 73 साल के विजय ठाकुर सभी आम टैक्सी वालों की तरह सवारी को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते हैं, पर इसके साथ ही विजय ठाकुर किसी भी मरीज़ को बिना कोई देर किये अस्पताल पहुंचाते हैं और वो भी बिना किराया लिए।
पेशे से इंजीनीयर रह चुके 31 साल से ऐसे ही मरीजों को मुफ़्त सेवा दे रहे हैं। टैक्सी ड्राईवर विजय ठाकुर का कहना है कि 1984 में उनकी पत्नी का गर्भपात हुआ था जिसके चलते उन्हें रात के 2 बजे अस्पताल ले जाना पड़ा। पर कोई भी टैक्सी या रिक्शा चालक उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। ऐसे में विजय ने तय किया कि वो अंत तक कोशिश करेंगे जरूरतमंदों को वक़्त पर अस्पताल पहुंचाने की।

विजय के परिवारवालों को उनका टैक्सी चलना पसंद नहीं है, विजय डायबिटीज के मरीज़ भी हैं पर इन सबके बावजूद भी उनका इरादा कमजोर नहीं होता। एक फ़ोन कॉल पर दिन के किसी भी वक़्त विजय ठाकुर लोगों को सुविधा मुहैया करवाते हैं। विजय ठाकुर के 19 वर्षीय बेटे अमित ठाकुर की मौत 1999 में हो गयी। जिसके बाद उन्होंने एक बच्ची को गोद लिया।
पेशे से इंजीनीयर रह चुके 31 साल से ऐसे ही मरीजों को मुफ़्त सेवा दे रहे हैं। टैक्सी ड्राईवर विजय ठाकुर का कहना है कि 1984 में उनकी पत्नी का गर्भपात हुआ था जिसके चलते उन्हें रात के 2 बजे अस्पताल ले जाना पड़ा। पर कोई भी टैक्सी या रिक्शा चालक उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। ऐसे में विजय ने तय किया कि वो अंत तक कोशिश करेंगे जरूरतमंदों को वक़्त पर अस्पताल पहुंचाने की।

विजय के परिवारवालों को उनका टैक्सी चलना पसंद नहीं है, विजय डायबिटीज के मरीज़ भी हैं पर इन सबके बावजूद भी उनका इरादा कमजोर नहीं होता। एक फ़ोन कॉल पर दिन के किसी भी वक़्त विजय ठाकुर लोगों को सुविधा मुहैया करवाते हैं। विजय ठाकुर के 19 वर्षीय बेटे अमित ठाकुर की मौत 1999 में हो गयी। जिसके बाद उन्होंने एक बच्ची को गोद लिया।
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