बेंगलुरु: मैसूर की एक स्थानीय अदालत ने रानी प्रमोदा देवी और राज परिवार के सात दूसरे सदस्यों को नोटिस जारी किया है। 600 साल पुराने यदु वंश के वोडेयार राज घराने के वारिस के तौर पर यदुवीर राजू उर्स को शाही परम्परा के मुताबिक महारानी प्रमोदा देवी ने वारिस इसी साल घोषित किया। और फिर राजघराने की परंपराओं के मुताबिक उनका राजतिलक भी किया गया। और इस साल शाही दशहरे की अगुवाई यदुवीर ही करेंगे। इसलिए दशहरे की शुरुआत होते ही प्राइवेट दरबार में ऐतिहासिक सिंहासन पर यदुवीर एक राजा के तौर पर बैठे।
लेकिन उनके रिश्ते में मामा कंथराज उर्स ने बुधवार को उनके चयन को चुनौती दी। कंथराज उर्स का कहना है कि हिन्दू एडॉप्शन ऐक्ट के मुताबिक गोद लिए गए शख्स की उम्र 21 साल से कम होनी चाहिए लेकिन राजकुमार यदुवीर उर्स की उम्र गोद लेते वक़्त तक़रीबन 23 साल थी जो कि नीति सांगत नहीं है।
महारानी प्रमोदा देवी के पति श्रीकांतदत्ता नार्सिम्हाराजा वोडेयार की मौत 2013 में हुई थी और इसके बाद उनके वारिस की खोज शरू हुई। पहला नाम उनके भांजे कंथराज उर्स का सामने आया और उन्होंने ही श्रीकन्तदत्ता का अंतिम संस्कार भी किया था।
लेकिन बाद में महारानी प्रमोदा देवी ने यदुवीर उर्स को बेटे के तौर पर गोद लिया और फिर उनका नाम बदल कर यदुवीर राज कृष्णदात्ता चमराजा वोडेयार हो गया।
यदुवीर ने अंग्रेजी और अर्थशास्त्र में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेसाचुसेट्स, अम्हेरेस्ट (University of Massachusetts, Amherst) से अंडर ग्रेजुएट डिग्री हासिल की है और अभी वो अविवाहित हैं।
क्या अभिशाप की वजह से वोडेयार शाही परिवार को बेटे नहीं होते
वोडेयार ने 1612 में विजयनगर एम्पायर के महाराजा तिरुमलराजा को हराकर यदुराज वंश की मैसूर में स्थापना की थी। तिरुमलराजा की पत्नी रानी अलमेलम्मा हीरे जवाहरात लेकर जंगल में छिप गयी। लेकिन वोडेयार के सैनिकों ने उन्हें ढूंढ निकाला। अपने को चारों तरफ से घिरा देख रानी अलमेलम्मा में कावेरी नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली लेकिन जाते-जाते ये श्राप दे गयी कि जिसने मेरा नाश किया है उस वंश में अब कभी उत्तराधिकारी पुत्र पैदा नहीं होगा। इसके बाद कभी भी राजा रानी को पुत्र नहीं हुआ और ये पिछले 500 सालों से बादस्तूर जारी है। इसलिए महारानियों को राज परिवार के किसी सदस्य को वारिस के तौर पर गोद लेना पड़ता है।
इस साल तक़रीबन 512 किसानों ने आतमहतया की। इस वजह से मैसूर के शाही दशहरे की रौनक सरकार ने पहले ही कम कर दी है। कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गयी है और इस साल के दशहरे का बजट चार करोड़ रह गया है जबकि पहले तक़रीबन 25 करोड़ रुपये के आस-पास होता था। ऐसे में शाही परिवार की अंदरूनी कलह का असर दशहरे की रौनक पर भी पड़ने की संभावना है।