विहान 4 साल का एक चुस्त और एक्टिव लड़का है. वह थैलेसीमिया सर्वाइवर है और सिर्फ एक साल पहले, उसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सख्त जरूरत थी. 24 साल के अनुरूप केरल के रहने वाले हैं, वह विहान के परिवार को नहीं जानते हैं, उन्होंने सिर्फ महसूस किया कि जरूरत के समय किसी के लिए बोन मैरो दान करना सही काम था क्योंकि उन्हें दात्री (Datri) से एक फोन आया. दात्री जो कि एक नॉन प्रोफिट एजेंसी है जो इस प्रकार के डोनेशन्स में कोऑर्डिनेशन के लिए काम करती है.
अनुरूप ने एनडीटीवी को बताया, 'दरअसल, यह पसंद का मामला था. मुझे करीब एक साल पहले दात्री से फोन आया और
उन्होंने मुझसे इस मामले पर चर्चा की. उन्होंने कहा, 'एक 4 साल का बच्चा, वह थैलेसीमिया से पीड़ित है. शायद केवल आप ही उसे बचा सकते हैं.' लेकिन उस समय, मुझे यकीन नहीं था कि मैं यह करूंगा. लेकिन बाद में, अपने परिवार और दात्री के लोगों के समर्थन से, मैंने इसे करने का फैसला किया.'
अनुरूप और विहान का पहली बार आमना-सामना एनडीटीवी के कैमरे पर ही हुआ. अनुरूप विहान को हंसता खेलता देखकर भावुक हो गए. विहान की मां भावना भी भावुक थी क्योंकि उसने पहली बार अनुरूप को देखा था, जिसने पारिवारिक जीवन और आशा दी है.
उन्होंने NDTV से कहा, "वह हमारी सभी प्रार्थनाओं का जवाब है. जब विहान को डायग्नॉस किया गया जब वह 6 महीने का
था, हमें पता नहीं था कि विहान कैसा होने जा रहा है. हमें नहीं पता था कि क्या करना है. और फिर हम डॉ सुनील भट्ट के पास गए और हमने दात्री के साथ पंजीकरण किया.
उन्होंने हमें बताया कि बोन मैरो का मैच खोजने की प्रक्रिया बहुत कठिन है. और फिर हमें एक डोनर मिला, हमे विश्वास नहीं हुआ कि हम एक डोनर को पाकर धन्य हो गए, वो बहुत परेशान कर देने वाले दिन थे. लेकिन हां, अब खुशी है.”यह पूछे जाने पर कि उनका बेटा कैसा है, भावना ने कहा, "विहान बहुत अच्छा है, डॉ. सुनील को धन्यवाद, अनूरूप को धन्यवाद
और ईश्वर की कृपा के लिए धन्यवाद, विहान अब स्वस्थ है." उन्होंने टीवी स्क्रीन के सामने विहान को दात्री के डॉक्टरों को hi करने के लिए कहा, विहान ने हाथ हिलाकर उन्हें हैलो कहा.
अनुरूप ने जवाब देते हुए कहा, "मैं सुपर एक्साइटेड हूं- मैंने बहुत देर तक इंतजार किया. मैंने एक साल तक इंतजार किया. दान के उस दिन से, पूरा परिवार, वह (विहान) हमेशा मेरी प्रार्थनाओं में था. मैं अब सुपर एक्साइटेड हूं. बस इतना ही."
विहान के डॉक्टर, डॉ.सुनील भट्ट, (बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन, मजूमदार शाह कैंसर सेंटर बेंगलुरु) ने एनडीटीवी को बताया, 'इस तरह के मामले में एक डोनर ढूंढना बहुत मुश्किल काम है. लेकिन जब एक डोनर एक प्राप्तकर्ता से मिलता है तो मेरे रोंगटे खड़े कर देता है. आप ऐसा कई बार करते हैं, बार-बार करते हैं, लेकिन हर बार जब एक असंबंधित डोनर एक मरीज से मिलता है, यह हमेशा एक भावनात्मक क्षण होता है हम सभी के लिए, "
"विहान को छह महीने की उम्र में थैलेसीमिया नामक बीमारी का पता चला था. इस बीमारी में ऐसा होता है कि पीड़ित
अपना खून नहीं बना पाते हैं. इसलिए उन्हें जीवन को बनाए रखने के लिए हर कुछ हफ्तों में बाहर से रक्त चढाना (ब्लड
ट्रांसफ्यूजन) पड़ता है, वो भी जीवन भर. लेकिन यह रक्त अपनी जटिलताओं को साथ लाता है और दुर्भाग्य से इनमें से अधिकांश बच्चे जीवन के दूसरे या तीसरे दशक से अधिक नहीं बचते हैं. तो इसका एकमात्र इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन है और जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के लिए हमें किसी को उनके लिए दान करने की आवश्यकता होती है. एक स्वस्थ दाता होना चाहिए जो दान कर सकता है.”
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