जासूसी के आरोप में कई वर्षों तक पाकिस्तान की जेल में कैद रहे 70 साल के शमसुद्दीन जब वतन लौटे तो आंसू नहीं नहीं रोक पाए. सर्किल ऑफिसर (सीसामऊ) त्रिपुरारी पांडे बताते हैं, 'घर' लौटने के बाद अपने परिजनों के गले लगाने के बाद शमसुद्दीन बच्चों की तरह रो पड़े. यह उनके खुशी के आंसू थे, शमसुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान जाकर उन्होंने बड़ी गलती की थी.' शमसुद्दीन रविवार सुबह शहर के अपने कंघी मोहाल स्थित घर पहुंचे जहां परिवार और लोगों ने फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया. शमसुद्दीन ने इस दौरान पत्रकारों को बातचीत में बताया कि प्रवासियों के साथ पाकिस्तान में अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता और भारतीयों को तो वहां 'दुश्मन' माना जाता है.
शमसुद्दीन वर्ष 1992 में एक परिचित के साथ 90 दिन का विजिट वीजा लेकर पाकिस्तान गए थे और 1994 में नागरिकता मिलने के बाद वहीं सेटल हो गए थे. वर्ष 2012 में पाकिस्तान सरकार ने उन्हें जासूसी करने के आरोप में अरेस्ट कर लिया था और कराची की जेल में बंद कर दिया था. शमसुद्दीन 26 अक्टूबर को अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिये भारत पहुंचे. कोरोना महामारी के बीच उन्होंने जरूरी क्वारंटाइम पीरियड अमृतसर में गुजारा.
कानपुर शहर के बजरिया पुलिस स्टेशन के सर्किल ऑफिसर त्रिपुरारी पांडे ने माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया. पुलिस बाद में शमसुद्दीन को लेकर उनके कंघी मोहाल स्थित घर पहुंची जहां लोग उनकी अगवानी के लिए इकट्ठा थे.लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत करते हुए उन्हें फूलमाला पहनाई. दशकों के बाद घर पहुंचने पर उन्हें बधाई दी गई. शमसुद्दीन ने मीडिया को बताया कि पाकिस्तान में भारतीयों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है, उन्हें दुश्मन के तौर पर 'देखा' जाता है. पाकिस्तान में बहुत भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं