प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों का निर्माण करने की प्रतिबद्धता जताने वाले 60 प्रतिशत उद्योग घरानों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने अपने नाम से दर्ज 100 शौचालयों से भी कम का निर्माण किया है। यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है।
कार्ययोजना के अनुसार उद्योग घरानों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को 1,50,000 शौचालयों का निर्माण करना था। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद कंपनियों द्वारा घोषणाओं की बाढ़ आ गई थी। लेकिन परियोजनाओं के लिए सिर्फ 12 औद्योगिक घराने आगे आए।
विज्ञान एवं पर्यावरण पत्रिका 'डाउन टु अर्थ' में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उनकी योजनाएं बनाई जाने वाली सभी शौचालयों की सिर्फ 35 प्रतिशत हैं। इसके अलावा उनमें से 60 प्रतिशत ने अपने नामों से दर्ज 100 से भी कम शौचालयों का निर्माण कराया है।
कार्ययोजना के अनुसार उद्योग घरानों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को 1,50,000 शौचालयों का निर्माण करना था। दोनों श्रेणियों में उनके नामों से 1,45,000 शौचालय दर्ज हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निजी उद्योग जगत ने कोष का सिर्फ एक प्रतिशत उपयोग किया है, वहीं पीएसयू ने 41 प्रतिशत का योगदान किया है।
कार्ययोजना के अनुसार उद्योग घरानों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को 1,50,000 शौचालयों का निर्माण करना था। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद कंपनियों द्वारा घोषणाओं की बाढ़ आ गई थी। लेकिन परियोजनाओं के लिए सिर्फ 12 औद्योगिक घराने आगे आए।
विज्ञान एवं पर्यावरण पत्रिका 'डाउन टु अर्थ' में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उनकी योजनाएं बनाई जाने वाली सभी शौचालयों की सिर्फ 35 प्रतिशत हैं। इसके अलावा उनमें से 60 प्रतिशत ने अपने नामों से दर्ज 100 से भी कम शौचालयों का निर्माण कराया है।
कार्ययोजना के अनुसार उद्योग घरानों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को 1,50,000 शौचालयों का निर्माण करना था। दोनों श्रेणियों में उनके नामों से 1,45,000 शौचालय दर्ज हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निजी उद्योग जगत ने कोष का सिर्फ एक प्रतिशत उपयोग किया है, वहीं पीएसयू ने 41 प्रतिशत का योगदान किया है।
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